काव्यालय कविता-कविता सुमन-17-ज़िंदगी की नोटबुक

Started by Atul Kaviraje, December 29, 2022, 09:10:26 PM

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Atul Kaviraje

                                   "काव्यालय कविता"
                                    कविता सुमन-17
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मित्रो,

     आज पढेंगे, ख्यातनाम, "काव्यालय कविता" इस शीर्षक अंतर्गत, मशहूर, नवं  कवी-कवियित्रीयोकी कुछ बेहद लोकप्रिय रचनाये. आज की कविता का शीर्षक है- " ज़िंदगी की नोटबुक"

                                  "ज़िंदगी की नोटबुक"
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ज़िंदगी की नोटबुक
बहुत चाहा फेयर रखूँ
ज़िन्दगी की नोटबुक को
लेकिन हमेशा रफ ही पाया...

कॉपी के उन आखिरी दो पन्नों की तरह
जिन पर होते हैं हिसाब अनगिन
हिसाब बिठाने की कोशिश में
लेकिन, छूटा कोई हासिल
गुणा करते हुए, भाग ही पाया
बहुत चाहा...

दशमलव लगा जोड़े सिफर जब
अंतहीन सवाल कोई आया
प्रायिकता कोई खोजी कहीं तो
शून्य उसका हासिल ही पाया
बहुत चाहा...

सजाने को जब-जब खींची लकीरें
अनचाहे निशानों से घिरती रहीं वे
घुमाया गोलाकार रेखा को जब भी
प्रश्नचिह्न जाने क्यों उभर आया
बहुत चाहा...

केंद्र से परिधि की त्रिज्या बनी तो
व्यास कोई सामने मुस्कुराया
सूत्र ढेरों रटते रहे पर
समय पर कोई काम न आया
बहुत चाहा...

सच मानो ये उलझा है बहुत
कोशिश की लाखों
जिंदगी का गणित
मगर समझ ही न आया
बहुत चाहा फेयर रखूँ
ज़िन्दगी की नोटबुक को
लेकिन, हमेशा रफ ही पाया..

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गुणा=multiply,भाग=divide, दशमलव=decimal, सिफर=zero, प्रायिकता=probability, हासिल=carry over, केंद्र=center, परिधि=circumference, त्रिज्या=radius, व्यास=diameter, सूत्र=principle
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--भावना सक्सैना
(8 Jul 2022)
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                      (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-काव्यालय.ऑर्ग/युगवाणी)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-29.12.2022-गुरुवार.