निबंध-क्रमांक-125-राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर निबंध

Started by Atul Kaviraje, January 01, 2023, 09:51:44 PM

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Atul Kaviraje

                                        "निबंध"
                                      क्रमांक-125
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मित्रो,

      आईए, पढते है, ज्ञानवर्धक एवं ज्ञानपूरक निबंध. आज के निबंध का शीर्षक है- "राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर निबंध"

राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर निबंध – Role Of Teacher In Nation--
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(ग) सामाजिकता की भावना जाग्रत करना–मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और उसे समाज के अनुकूल बनाने का दायित्व शिक्षक का है। शिक्षक ही व्यक्ति को समाज के आदर्शों, मूल्यों और मानवताओं से परिचित कराता है। समाज के प्रति व्यक्ति के क्या कर्त्तव्य और अधिकार हैं और इनका सदुपयोग कैसे किया जाए, इन सभी बातों की जानकारी शिक्षक द्वारा ही प्राप्त होती है।

(घ) मूल–प्रवृत्तियों का नियन्त्रण–बालकों में कुछ मूल प्रवृत्तियाँ जन्मगत होती हैं। एक शिक्षक उन मूल प्रवृत्तियों को शुद्ध करता है, उनका मार्ग निर्देशन करता है, तथा उन्हें नियन्त्रित करने का कार्य भी करता है। इससे बालक के व्यक्तित्व का विकास होता है। शिक्षक का कार्य है कि वह बालक की मूल प्रवृत्तियों में सुधार करके उसे समाज तथा राष्ट्र की सेवा के लिए प्रेरित करे।

(ङ) भावी जीवन के लिए तैयार करना–शिक्षक छात्रों को भिन्न–भिन्न विषयों और व्यवसायों की शिक्षा प्रदान करता है। वह अपने विद्यार्थी को इस योग्य बनाता है, जो शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् परिवार, समाज तथा देश के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन भली–भाँति कर सके। देश का युवा आत्मनिर्भर होगा तो राष्ट्र की उन्नति और प्रगति में सदैव सहायक होगा।

(च) चरित्र–निर्माण तथा नैतिक विकास करना–शिक्षक की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है बालकों का चरित्र–निर्माण और उनका नैतिक विकास करना। अच्छी शिक्षा द्वारा ही बालक सत्यं, शिवं, सुन्दरं को साक्षात्कार करता है और उसे अपने आचरण में लाने का प्रयास करता है। गांधी जी का भी कथन है– "यदि शिक्षा को अपने नाम को सार्थक बनाना है, तो उसका प्रमुख कार्य नैतिक शिक्षा प्रदान करना होना चाहिए।"

(छ) आदर्श नागरिक के गुणों को विकसित करना–शिक्षक का परम कर्त्तव्य है कि वह अपनी शिक्षा के द्वारा छात्रों में आदर्श नागरिक के गुणों को विकसित करे, जिससे छात्र अपने कर्तव्यों और अधिकारों को भली प्रकार समझ सके और जीवन में उनका समुचित उपयोग कर सके। आदर्श नागरिक ही आदर्श राष्ट्र के निर्माण में मुख्य भूमिका निभाते हैं।

(ज) राष्ट्रीय भावना का संचार करना–एक आदर्श शिक्षक ही अपनी शिक्षा द्वारा छात्रों में राष्ट्रीय एकता और देशभक्ति का संचार करता है। किसी राष्ट्र का स्वतन्त्र अस्तित्व उसके आदर्श नागरिकों पर ही निर्भर करता है। उनके सहयोग से ही राष्ट्र उन्नत और सशक्त बनता है। प्रत्येक अच्छा नागरिक राष्ट्र–निर्माण में सहायक होता है और एक शिक्षक अपने पुरुषार्थ से अबोध बालकों को अच्छा नागरिक बनाकर अपने राष्ट्र–निर्माण के दायित्वों का निर्वाह करना है।

(झ) भारतीय संस्कृति और राष्ट्र–गौरव से परिचित कराना–एक अच्छा शिक्षक छात्रों को अपनी संस्कृति और राष्ट्र–गौरव से परिचित कराता है। शिक्षक अपने मन, वचन और व्यवहार से एक आदर्श प्रस्तुत करके समस्त छात्रों में राष्ट्र भक्ति उत्पन्न करता है। ऐसे शिक्षकों से बालकों को नवीन दिशा मिलती है और वे राष्ट्र–निर्माण में सहयोग प्रदान करते हैं।

(ज) उचित दिशा–निर्देश देना–जीवन में प्रगति मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए उचित दिशा–निर्देश की आवश्यकता पड़ती है। यह निर्देशन कई प्रकार का होता है; जैसे–व्यक्तिगत निर्देशन, शैक्षिक निर्देशन तथा व्यावसायिक निर्देशन। व्यक्तिगत निर्देशन द्वारा व्यक्ति की व्यक्तिगत समस्याओं को सुलझाने का प्रयत्न किया जाता व्यावसायिक निर्देशन द्वारा व्यक्ति की रुचि, योग्यता और क्षमता की जाँचकर उसी के अनुरूप उसे व्यवसाय चुनने का परामर्श दिया जाता है। एक शिक्षक अपने छात्रों को इन सभी विषयों में उचित दिशा–निर्देश देकर देश का सफल नागरिक बनने में उनकी सहायता करता है।

उद्देश्यपूर्ण शिक्षा द्वारा सुन्दर–
सभ्य समाज का निर्माण–एक कुशल शिक्षक ही प्रत्येक छात्र को सभी विषयों की सर्वोत्तम शिक्षा देकर उन्हें एक अच्छा डॉक्टर, इंजीनियर, न्यायिक एवं प्रशासनिक अधिकारी बनाने के साथ–साथ उसे एक अच्छा इन्सान भी बनाता है। सामाजिक ज्ञान के अभाव में जहाँ एक ओर छात्र समाज को सही दिशा देने में असमर्थ रहता है, वहीं दूसरी ओर आध्यात्मिक ज्ञान के अभाव में वह गलत निर्णय लेकर अपने साथ ही अपने परिवार, समाज, देश तथा विश्व को भी विनाश की ओर ले जाने का कारण बन सकता है।

इसलिए शिक्षक का कर्तव्य है कि वह आरम्भ से ही विद्यार्थियों की नींव मजबूत करके सुन्दर–सभ्य समाज का निर्माण करने में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करे।

उपसंहार–
इस प्रकार शिक्षक एक सुसभ्य एवं शान्तिपूर्ण राष्ट्र और विश्व का निर्माता है। एक शिक्षक को अपने सभी छात्रों को एक सुन्दर एवं सुरक्षित भविष्य देने के लिए तथा सारे विश्व में शान्ति एवं एकता की स्थापना के लिए उनके कोमल मन–मस्तिष्क में भारतीय संस्कृति और सभ्यता के रूप में 'वसुधैव कुटुम्बकम्' के विचाररूपी बीज बोने चाहिए।

--लक्ष्मी
(June 5, 2020)
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                      (साभार एवं सौजन्य-अभिव्यक्ती-हिंदी.ऑर्ग)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-01.01.2023-रविवार.