काव्यालय कविता-कविता सुमन-26-परिवर्तन जिए

Started by Atul Kaviraje, January 07, 2023, 09:44:26 PM

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Atul Kaviraje

                                    "काव्यालय कविता"
                                     कविता सुमन-26
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मित्रो,

     आज पढेंगे, ख्यातनाम, "काव्यालय कविता" इस शीर्षक अंतर्गत, मशहूर, नवं  कवी-कवियित्रीयोकी कुछ बेहद लोकप्रिय रचनाये. आज की कविता का शीर्षक है- "परिवर्तन जिए"

                                    "परिवर्तन जिए"
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अनहोनी बातों की
आशा में जीना
कितना रोमांचकारी है

मैं उसी की आशा में
जी रहा हूँ
सोच रहा हूँ
हवा की ही नहीं
सूर्य किरणों की गति
मेरी कविता में आएगी
मेरी वाणी
उन तूफ़ानों को गाएगी
जो अभी उठे नहीं है
और जिन्हें उठना है
इसलिए कि
जड़ता नहीं
परिवर्तन जिए

बच्चे का भय
और बच्चे का कौतूहल
मेरी आंखों और
शब्दों से फूटे
तो टूटे
सामने खड़ा पहाड़
तयशुदा पक्की चट्टानों का
कचूमर निकले
इसके टूटने से
मेरे तुम्हारे उसके
प्राणों का
तो एक अनहोनी हो जाए
मरते-मरते
जीने का मतलब निकले
फिसले-फिसले-फिसले
यह पहाड़ सामने का
काला
और तयशुदा

देखें हम
यह एक करिश्मा
साथ-साथ
और जुदा-जुदा !

--भवानीप्रसाद मिश्र
(भवानीप्रसाद मिश्र के काव्य संकलन परिवर्तन जिए से)
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(21 Jun 2019)
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                     (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-काव्यालय.ऑर्ग/युगवाणी)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-07.01.2023-शनिवार.