सुधीर फडके-विठ्ठला, तू वेडा कुंभार

Started by Atul Kaviraje, January 13, 2023, 10:14:45 PM

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Atul Kaviraje

                     "काही गाणी आठवणीतली, काही साठवणीतली !"
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मित्र/मैत्रिणींनो,

     आज ऐकुया, "काही गाणी आठवणीतली, काही साठवणीतली !" या गीत-मालिके -अंतर्गत, श्री सुधीर फडके यांनी गायिलेले एक गीत. या गीताचे शीर्षक आहे- "विठ्ठला, तू वेडा कुंभार"

                                 "विठ्ठला, तू वेडा कुंभार"
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फिरत्या चाकावरती देसी मातीला आकार
विठ्ठला, तू वेडा कुंभार ॥ धृ. ॥

माती, पाणी, उजेड, वारा,
तूच मिसळशी सर्व पसारा
आभाळच मग ये आकारा
तुझ्या घटांच्या उतरंडीला नसे अंत ना पार ॥ १ ॥

घटाघटाचे रूप आगळे,
प्रत्येकाचे दैव वेगळे
तुझ्याविणा ते कोणा न कळे
मुखी कुणाच्या पडते लोणी, कुणामुखी अंगार ॥ २ ॥

तूच घडवीसी, तूच फोडीसी,
कुरवाळिसी तू, तूच ताडीसी
न कळे यातून काय जोडिसी
देसी डोळे परी निर्मिसी तयापुढे अंधार ॥ ३ ॥

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गीत – ग. दि. माडगुळकर
गायक – सुधीर फडके
संगीत - सुधीर फडके
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--प्रकाशक : शंतनू देव
(MONDAY, FEBRUARY 21, 2011)
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                  (साभार आणि सौजन्य-माणिक-मोती.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
                             (संदर्भ-♫ गाणीमराठी.com ♫♪)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-13.01.2023-शुक्रवार.