लता मंगेशकर-घन तमीं शुक्र बघ राज्य करी

Started by Atul Kaviraje, January 14, 2023, 10:02:17 PM

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Atul Kaviraje

                     "काही गाणी आठवणीतली, काही साठवणीतली !"
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मित्र/मैत्रिणींनो,

     आज ऐकुया, "काही गाणी आठवणीतली, काही साठवणीतली !" या गीत-मालिके -अंतर्गत, श्रीमती लता मंगेशकर यांनी गायिलेले एक गीत. या गीताचे शीर्षक आहे- "घन तमीं शुक्र बघ राज्य करी"

                              "घन तमीं शुक्र बघ राज्य करी"
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घन तमीं शुक्र बघ राज्य करी
रे खिन्न मना, बघ जरा तरी !

ये बाहेरी अंडे फोडुनि
शुद्ध मोकळ्या वातावरणी
का गुदमरशी आतच कुढुनी ?
रे ! मार भरारी जरा वरी

प्रसवे अवस सुवर्णा अरुणा
उषा प्रसवते अनंत किरणा
पहा कशी ही वाहे करुणा
का बागुल तू रचितोस घरी ?

फूल हसे काट्यांत बघ कसे
काळ्या ढगि बघ तेज रसरसे
तीव्र हिमांतुनि वसंतहि हसे
रे, उघड नयन, कळ पळे दुरी

फूल गळे, फळ गोड जाहले
बीज नुरे, डौलात तरु डुले
तेल जळे, बघ ज्योत पाजळे
का मरणि अमरता ही न खरी ?

मना, वृथा का भीती मरणा ?
दार सुखाचे ते हरि-करुणा !
आई पाही वाट रे मना
पसरोनी बाहु कवळण्या उरी

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गीत :भा. रा. तांबे
संगीत : पं. हृदयनाथ मंगेशकर
स्वर : लता मंगेशकर
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(सूजित काणे यांनी सुचवलेलं गाणं ! सूजित आभार !)
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--प्रकाशक : शंतनू देव
(FRIDAY, FEBRUARY 18, 2011)
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                 (साभार आणि सौजन्य-माणिक-मोती.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
                             (संदर्भ-♫ गाणीमराठी.com ♫♪)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-14.01.2023-शनिवार.