इतर कविता-(क्रमांक-106)-कुशलव रामायण गाती (गीतरामायण)

Started by Atul Kaviraje, January 14, 2023, 10:10:49 PM

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Atul Kaviraje

                                     इतर कविता 
                                   (क्रमांक-106)
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मित्र/मैत्रिणींनो,

     "इतर  कविता"  अंतर्गत  मी  इतर  कवींच्या  कविता  आपणापुढे  सादर  करीत आहे .

                              कुशलव रामायण गाती (गीतरामायण)
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कुशलव रामायण गाती (गीतरामायण)--
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कुशलव रामायण गाती
स्वये श्री रामप्रभू ऐकती
कुशलव रामायण गाती

कुमार दोघे एकवयाचे
सजीव पुतळे रघुरायाचे
पुत्र सांगती चरित पित्याचे
ज्योतीने तेजाची आरती ॥ १ ॥

राजस मुद्रा, वेष मुनींचे
गंधर्वच ते तपोवनींचे
वाल्मीकींच्या भाव मनींचे
मानवी रूपे आकारती ॥ २ ॥

ते प्रतिभेच्या आम्रवनांतील
वसंतवैभव गाते कोकिल
बालस्वरांनी करूनी किलबिल
गायने ऋतुराज भारिती ॥ ३ ॥

फुलांपरी ते ओठ उमलती
सुगंधसे स्वर भुवनी झुलती
कर्णभूषणे, कुंडल डुलती
संगती वीणा झंकारिती ॥ ४ ॥

सात स्वरांच्या स्वर्गामधुनी
नऊ रसांच्या नऊ स्वर्धुनी
यज्ञमंडपी आल्या उतरूनी
संगमी श्रोतेजन नाहती ॥ ५ ॥

पुरुषार्थांची चारी चौकट
त्यात पाहता निजजीवनपट
प्रत्यक्षाहुनि प्रतिमा उत्कट
प्रभुचे लोचन पाणावती ॥ ६ ॥

सामवेदसे बाळ बोलती
सर्गामागून सर्ग चालती
सचिव, मुनीजन स्त्रिया डोलती
आसवे गाली ओघळती ॥ ७ ॥

सोडूनी आसन उठले राघव
उठून कवळिती अपुले शैशव
पुत्रभेटीचा घडे महोत्सव
परी तो उभया नच माहिती ॥ ८ ॥

--गदिमा
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--संकलक-सुजित बालवडकर
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                   (साभार आणि सौजन्य-मराठी कविता.वर्डप्रेस.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-14.01.2023-शनिवार.