II शुभ मकर संक्रात II-कविता-12-मकर संक्रांति और मेला

Started by Atul Kaviraje, January 15, 2023, 11:30:23 AM

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Atul Kaviraje

                                   II शुभ मकर संक्रात II
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मित्रो,

     आज दिनांक-१५.०१.२०२३ है. आजका शुभ दिन "मकर-संक्रांति" का पुण्य-पावन पर्व लेकर आया है. सूर्य-भगवानकI इसी दिन मकर राशीमे संक्रमण होता है. सारे देशमे यह पर्व भिन्न भिन्न नामोसे मनाया जाता है. इस दिन को तिल और गुड इनसे बने पदार्थोका विशेष महत्त्व होता है. मराठी कविता के मेरे सभी भाई-बहन कवी-कवयित्रीयोको मकर संक्रांतिकी बहोत सारी हार्दिक शुभकामनाये. आईए, सारे इकठठे हो, और बोलो- "तिल गुड लेलो, मीठा मीठा बोलो". अपने सभी वाद-विवाद, झगडे-तंटे इनको मिटाकर एक होंगे, मिलके रहेंगे. आईए, सुनते है, इस पर्व की कुछ मिठी कविताये, जिनक स्वाद आपके जिव्हा पर साल भर के लिये घुल मिल जायेगा.

                                 "मकर संक्रांति और मेला"
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मकर संक्रांति और पतंगों का रेला,

कितना मनभावन वो तिल लड्डू का ठेला।

छत में हम सब होते हैं, उड़ाते हैं पतंग,

क्या सफेद क्या लाल और कई रंग।


मोनू भी होता, गोलू भी होता,

हम भी हैं होते अपने भाई-बहनों के संग।

माँ बनाती है लड्डू, पेड़े और मिठाई,

हम सब मिल बॉँटकर खाते हैं भाई।


त्योहारों की शुरुआत है होती,

पावन पर्व होता है मकर संक्रांति।

मकर में लगता है कई जगहों पर मेला,

रात में जगराता और सुबह अलबेला।


हम सब जाते हैं सुबह पुण्य नदी में नहाने,

मिलते हैं सभी दोस्तों से हम इसी बहाने।

कहीं पे लोहड़ी, कहीं पे बीहू,

कहीं पे कहते उत्तरायण हैं।

मकर संक्रांति का ये मेला पावन सा रामायण है।

--ऋषि प्रधान
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                       (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-ज्ञान की नगरी.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-15.01.2023-रविवार.
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