|| श्रीकृष्ण जन्म ||

Started by tanu, September 03, 2010, 11:56:07 PM

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tanu

|| श्रीकृष्ण जन्म ||

श्रावण मांसी, कृष्ण अष्टमी | मथुरा बंदीशाळेला |
देवकी वसुदेवाच्या उदरी | अवतार जन्माला आला || १ ||

आठव्या वेळी देवकीला हो | आनंदाचे डोहाळे |
"विश्वाचा मी चालक आहे" | स्वयं विष्णू ऐसे बोले || २ ||

रिमझिमणा-या जलधारांची | तेंव्हा होती बरसात |
देवकीला हो दर्शन घडले | श्री विष्णूंचे साक्षात् || ३ ||

देवी देवकी त्यास म्हणे की | "पुत्र होउनी तू यावे |
विश्वंभराची माता म्हणुनी | विश्वाने या ओळखावे || ४ ||

तिमिर सरला, प्रकाश भरला | बालप्रभूच्या तेजाने |
"गोकुळी सोडा, माझ्या परिसा | तुम्ही वायू वेगाने" || ५ ||

वसुदेव तो उचलुनी ठेवी | निज पुत्राला परडीत |
त्या कंसाच्या दुष्कृत्त्याने | श्वास कोंडला नरडीत || ६ ||

शेल्याखाली झाकुनी घेता | परडी घेई डोईला |
कृष्णकन्हैया दावू लागला | अवताराच्या दिव्य लीला || ७ ||

तुटल्या बेड्या कड्याही सुटल्या | रक्षणकर्ते निद्रिस्त |
देवलिलेच्या त्या साक्षीने | अमंगलाचा हो अस्त || ८ ||

कृष्ण मस्तकी होउनी छत्री | फणाही शेषाने धरिला |
मनधैर्याने वसुदेवाने | गोकुळीचा पथ आक्रमिला || ९ ||

दुथङी भरुनी वाहे यमुना | आसुसली प्रभूच्या नमना |
बालकृष्णाच्या पदस्पर्शाने | दुभंगती झाली यमुना || १० ||

पैलथङिला सुखरूप आले | नंद यशोदेच्या सदनी |
यशोदेपाशी ठेवुनी कृष्णा | परडीत ठेवी योगिनी || ११ ||

दुष्ट कंस तो मायाविच्या | हत्त्येसाठी धजावला |
देवकीचा तो कन्या अर्भक | बळजबरीने खेचला || १२ ||

शिळेवरती आपटण्याचा | दुर्विचार त्याचा होता |
निसटुनी गेली माया हातुनी | कंस भ्रंश होता कोता || १३ ||

आकाशवाणी तत्क्षणी झाली | "अचिंत्य शक्ती मी प्रभूची |
गोकुळात जी वाढत आहे | कृष्णमूर्त ती विष्णूची" || १४ ||

गाऊ लागले, नाचू लागले | गोकुळवासी हर्षाने |
त्रिभुवन अवघे पावन झाले | श्री कृष्णाच्या स्पर्शाने || १५ ||

|| गोपाळ कृष्ण | गोपाळ कृष्ण | गोपाळ कृष्ण | गोपाळ कृष्ण ||