निबंध-क्रमांक-152-मदर टेरेसा

Started by Atul Kaviraje, January 28, 2023, 09:41:58 PM

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Atul Kaviraje

                                       "निबंध"
                                     क्रमांक-152
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मित्रो,

      आईए, पढते है, ज्ञानवर्धक एवं ज्ञानपूरक निबंध. आज के निबंध का शीर्षक है- " मदर टेरेसा-Mother Teresa"

                              मदर टेरेसा-Mother Teresa--
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                      प्रस्तावना--

     मदर टेरसा 20वीं सदी की महानतम शख्सियतों में से एक मानी जाती हैं | मदर टेरसा रोमन कैथोलिक नन थीं, जिन्होंने 1948 में स्वेच्छा से भारतीय नागरिकता ले ली थी। इन्होंने 1950 में कोलकाता में मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी की स्थापना की। इन्होंने अपने जीवन के 45 सालों तक गरीब, बीमार, अनाथ  लोगों की मदद की और साथ ही मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी के प्रसार का भी मार्ग प्रशस्त किया। इन्हें रोमन कैथोलिक चर्च द्वारा, कलकत्ता की संत टेरेसा नाम से सम्मानित किया गया था। उन्होंने अपना पूरा जीवन बीमारों और गरीबों की देखभाल के लिए समर्पित कर दिया।

                    प्रारंभिक जीवन--

     मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त, 1910 को स्कॉप्जे (अब मेसीडोनिया में) में हुआ था। इनके पिता निकोला बोयाजू एक साधारण व्यवसायी थे। मदर टेरेसा का वास्तविक नाम "एग्नेस गोंझा बोयाजिजू" था। उनके पिता एक उद्यमी थे, जो एक निर्माण ठेकेदार और दवाओं व अन्य सामानों के व्यापारी के रूप में काम करते थे। जब वह मात्र आठ साल की थीं तभी इनके पिता का निधन हो गया था। जिसके बाद इनके लालन-पालन की सारी जिम्मेदारी इनकी माता द्राना बोयाजू के ऊपर आ गयी। उन्होंने अपना सारा जीवन मानव सेवा में लगाया और 18 साल की उम्र में इन्होंने 'सिस्टर्स ऑफ़ लोरेटो' में शामिल होने का फैसला ले लिया। तत्पश्चात यह आयरलैंड चली गयी | जहाँ इन्होंने अंग्रेजी भाषा सीखी। अंग्रेजी सीखना इसलिए जरुरी था क्योंकि 'लोरेटो' की सिस्टर्स इसी माध्यम में, बच्चों को भारत में पढ़ाती थीं। 1981 में, इन्होने अपना नाम बदलकर टेरेसा रख लिया और उन्होने आजीवन मानव सेवा का संकल्प लिया।

                   पुरस्कार व सम्मान--

     मदर टेरेसा को 1931 मे पोप तेइसवें का शांति पुरस्कार और धर्म की प्रगति के लिए टेम्पेलटन फाउण्डेशन पुरस्कार प्रदान किया गया। भारत सरकार द्वारा मदर टेरेसा को 1962 में 'पद्म श्री' की उपाधि मिली। 1988 में ब्रिटेन द्वारा 'आईर ओफ द ब्रिटिश इम्पायर' की उपाधि प्रदान की गयी। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ने उन्हें डी-लिट की उपाधि से विभूषित किया। 19 दिसंबर 1979 को मदर टेरेसा को मानव-कल्याण कार्यों के हेतु नोबल पुरस्कार प्रदान किया गया।

     1979 में, मदर टेरेसा को उनके मानवीय कार्यों के लिए नोबेल शांति पुरस्कार मिला। सितंबर 1997 में उनकी मृत्यु हो गई और अक्टूबर 2003 में उन्हें संत घोषित कर दिया गया। दिसंबर 2015 में, पोप फ्रांसिस ने मदर टेरेसा के लिए जिम्मेदार एक दूसरे चमत्कार को मान्यता दी, जिससे 4 सितंबर, 2016 को उनके संत होने का रास्ता साफ हो गया। उन्हें 2016 में कलकत्ता की सेंट टेरेसा के रूप में मान्यता दी गई | मदर टेरेसा गरीबों की मदद करने के लिए, समर्पित महिलाओं की एक रोमन कैथोलिक मण्डली, ऑर्डर ऑफ द मिशनरीज ऑफ चैरिटी की संस्थापक रही थीं।

--मिनू सैनी
( Aug 10, 2022)
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                        (साभार एवं सौजन्य-माय हिंदी लेख.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-28.01.2023-शनिवार.
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