मेरी धरोहर-कविता सुमन-50-इन आंधियों के साथ यही दोस्ती सही...

Started by Atul Kaviraje, January 31, 2023, 08:59:06 PM

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Atul Kaviraje

                                      "मेरी धरोहर"
                                    कविता सुमन-50
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मित्रो,

     आज पढेंगे, ख्यातनाम, "मेरी धरोहर" इस शीर्षक अंतर्गत, मशहूर, नवं  कवी-कवियित्रीयोकी कुछ बेहद लोकप्रिय रचनाये. आज की कविता का शीर्षक है- "इन आंधियों के साथ यही दोस्ती सही..."

                             "इन आंधियों के साथ यही दोस्ती सही..."   
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सीना जो खंजरों को नहीं पीठ ही सही
तुम दोस्त हो हमारे बताओ सही सही

इतना ही कह के बुझ सा गया आख़री चराग़,
इन आंधियों के साथ यही दोस्ती सही

आते ही रौशनी के नज़र आये बहते अश्क
इससे तो मेरे साथ वही तीरग़ी सही

सोचा था हमने आज सवारेंगे वक्त को
अब हाथ में है ज़ुल्फ़ तो फिर ज़ुल्फ़ ही सही

बातें करोगे अम्न की बलवाइयों के साथ?
तुम पर भी ऐसे में ये निपोरेंगे खीस ही

हमने किया सलाम तो होगा कोई तो काम
'अच्छा ये आप समझे हैं अच्छा यही सही'

सोते हैं दर्द में ही हम इतने सकून से,
रातों में जाग जाग के हमने ख़ुशी सही

--प्रखर मालवीय 'कान्हा'
--Posted by yashoda Agrawal
(Saturday, December 28, 2013)
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                    (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-४ यशोदा.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-31.01.2023-मंगळवार.
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