मेरी धरोहर-कविता सुमन-51-अब एक रोज़ हमेशा के वास्‍ते आ जा...

Started by Atul Kaviraje, February 01, 2023, 09:25:16 PM

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Atul Kaviraje

                                      "मेरी धरोहर"
                                    कविता सुमन-51
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मित्रो,

     आज पढेंगे, ख्यातनाम, "मेरी धरोहर" इस शीर्षक अंतर्गत, मशहूर, नवं  कवी-कवियित्रीयोकी कुछ बेहद लोकप्रिय रचनाये. आज की कविता का शीर्षक है- "अब एक रोज़ हमेशा के वास्‍ते आ जा"

                            "अब एक रोज़ हमेशा के वास्‍ते आ जा..."   
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जहां न कोई हो अपना वहां पै जाना क्‍या
जहां पै कोई हो अपना वहां से आना क्‍या

इसी में उलझा रहेगा भला ज़माना क्‍या
न दूट पायेगा इसका ये खोना पाना क्‍या

तुम्हें है फ़ि‍क्र नशेमन की मुझको गुलशन की
न हो चमन ही सलामत तो आशियाना क्‍या

अब एक रोज़ हमेशा के वास्‍ते आ जा
ये रोज़ रोज़ का इस तरह आना जाना क्‍या

है शुक्र इनका उड़ा लायीं आँधियाँ तिनके
वगरना 'प्रेम' बना पाता आशियाना क्‍या

--प्रेम कुमार शर्मा 'प्रेम' पहाड़पुरी
--Posted by yashoda Agrawal
(Friday, December 27, 2013)
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                     (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-४ यशोदा.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-01.02.2023-बुधवार.
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