पं.वसंतराव देशपांडे-तेजोनिधी लोह गोल, भास्कर हे गगनराज

Started by Atul Kaviraje, February 06, 2023, 10:08:59 PM

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Atul Kaviraje

                    "काही गाणी आठवणीतली, काही साठवणीतली !"
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मित्र/मैत्रिणींनो,

     आज ऐकुया, "काही गाणी आठवणीतली, काही साठवणीतली !" या गीत-मालिके -अंतर्गत, पं.वसंतराव देशपांडे यांनी गायिलेले एक गीत. या गीताचे शीर्षक आहे- "तेजोनिधी लोह गोल, भास्कर हे गगनराज"

                         "तेजोनिधी लोह गोल, भास्कर हे गगनराज"
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तेजोनिधी लोह गोल, भास्कर हे गगनराज
हे दिनमणि व्योमराज, भास्कर हे गगनराज

दिव्य तुझ्या तेजाने, झगमगले भूवन आज,
हे दिनमणि व्योमराज भास्कर हे गगनराज.

कोटी कोटी किरण तुझे अनलशरा उधळिती
अमृतकण होऊन अणुरेणू उजळिती

तेजातच जनन मरण, तेजातच नवीन साज
हे दिनमणि व्योमराज, भास्कर हे गगनराज

ज्योतिर्मय मूर्ती तुझी, ग्रहमंडळ दिव्य सभा
दाहक परी संजीवक, करुणारून किरणप्रभा

होवो जीवन विकास, वासुधेची राख लाज
हे दिनमणि व्योमराज, भास्कर हे गगनराज

तेजोनिधी लोह गोल, भास्कर हे गगनराज
हे दिनमणि व्योमराज, भास्कर हे गगनराज !

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गीत - पुरुषोत्तम दारव्हेकर
संगीत - पं. जितेंद्र अभिषेकी
स्वर - पं. वसंतराव देशपांडे
नाटक - कट्यार काळजात घुसली
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--प्रकाशक : शंतनू देव
(WEDNESDAY, JANUARY 26, 2011)
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                  (साभार आणि सौजन्य-माणिक-मोती.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
                             (संदर्भ-♫ गाणीमराठी.com ♫♪)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-06.02.2023-सोमवार.
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