साहित्यशिल्पी-15 अगस्त ‘‘स्वतंत्रता दिवस’’ पर विशेष लेख

Started by Atul Kaviraje, February 11, 2023, 10:48:10 PM

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Atul Kaviraje

                                    "साहित्यशिल्पी"
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मित्रो,

     आज पढते है, "साहित्यशिल्पी" शीर्षक के अंतर्गत, सद्य-परिस्थिती पर आधारित एक महत्त्वपूर्ण लेख. इस आलेख का शीर्षक है- "15 अगस्त ''स्वतंत्रता दिवस'' पर विशेष लेख"

15 अगस्त ''स्वतंत्रता दिवस'' पर विशेष लेख (हम सब मिलकर संकल्प लेते हैं, 2022 तक नए भारत के निर्माण का) [आलेख]-- डा. जगदीश गांधी--
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     (1) हम सब मिलकर संकल्प लेते हैं, 2022 तक नए भारत के निर्माण का:-
1942 में हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने एक संकल्प लिया था, 'भारत छोड़ो' का और 1047 में वह महान संकल्प सिद्ध हुआ, भारत स्वतंत्र हुआ। हम सब मिलकर संकल्प लेते हैं, 2022 तक स्वच्छ, गरीबी मुक्त, भ्रष्टाचार मुक्त, आतंकवाद मुक्त, सम्प्रदायवाद मुक्त तथा जातिवाद मुक्त नए भारत के निर्माण का। भारत के लाखों स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अपनी कुर्बानियाँ देकर ब्रिटिश शासन से 15 अगस्त 1947 को अपने देश को अंग्रेजों की दासता से मुक्त कराया था। तब से इस महान दिवस को भारत में स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अपने देश की आजादी के लिए एक लम्बी और कठिन यात्रा तय की थी। देश को अन्यायपूर्ण अंग्रेजी साम्राज्य की गुलामी से आजाद कराने में अपने प्राणों की बाजी लगाने वाले लाखों स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बलिदान तथा त्याग का मूल्य किसी भी कीमत पर नहीं चुकाया जा सकता। इन सभी ने अपने युग की समस्या अर्थात 'भारत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त कराने के लिए' अपने परिवार और सम्पत्ति के साथ ही अपनी सुख-सुविधाओं आदि चीजों का त्याग किया था। आजादी के इन मतवाले शहीदों के त्याग एवं बलिदान से मिली आजादी को हमें सम्भाल कर रखना होगा। भारत की आजादी की लड़ाई में लाखों शहीदों के बलिदानी जीवन हमें सन्देश दे रहे हैं - हम लाये हैं तूफान से किश्ती निकाल के, इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के।

     (2) उदार चरित्र वालों के लिए यह पृथ्वी एक परिवार के समान है:-
भारत एक महान देश है इसकी महानता इसकी उदारता तथा शान्तिपूर्ण सह-अस्तित्व में छुपी हुई है। विश्वव्यापी समस्याओं के ठोस समाधान भारत जैसे देश के पास ही हैं। भारत की 'वसुधैव कुटुम्बकम्' की महान संस्कृति, सभ्यता तथा संविधान दुनियाँ से अलग एवं अनूठी है। इसलिए आज सारा विश्व भारत की ओर बड़ी ही आशा की दृष्टि से देख रहा है। देश की आजादी के समय दो विचारधाराओं के बीच लड़ाई थी। एक ओर अंग्रेजों की संस्कृति भारत जैसे देशों पर शासन करके अपनी आमदनी बढ़ाने की थी तो दूसरी ओर भारत के ऐसे विचारशील लोग थे जो सारी दुनियाँ में 'उदारचरित्रानाम्तु वसुधैव कुटुम्बकम्' अर्थात उदार चरित्र वाले के लिए यह पृथ्वी एक परिवार के समान है, के विचारों को फैलाने में संलग्न थे। भारत की आज़ादी के लिए अनेक शूरवीरों ने हँसते-हँसते अपने प्राण त्याग दिये। इन शूरवीरों ने जो आवाज़ उठाई थी, वह महज़ अंगे्रजांे के खिलाफ़ नहीं बल्कि सारी मानव जाति के शोषण के विरूद्ध थी। भारत की आजादी से प्रेरणा लेकर 54 देशों ने अपने को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त कर लिया।

--डा. जगदीश गाँधी
लखनऊ
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                      (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-साहित्यशिल्पी.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-11.02.2023-शनिवार.
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