मेरी धरोहर-कविता सुमन-62-घर-घर परी ही बन कें जहाँ बीजरी सही...

Started by Atul Kaviraje, February 12, 2023, 10:31:23 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

                                    "मेरी धरोहर"
                                  कविता सुमन-62
                                 ----------------

मित्रो,

     आज पढेंगे, ख्यातनाम, "मेरी धरोहर" इस शीर्षक अंतर्गत, मशहूर, नवं  कवी-कवियित्रीयोकी कुछ बेहद लोकप्रिय रचनाये. आज की कविता का शीर्षक है- "ये घर-घर परी ही बन कें जहाँ बीजरी सही..."

                         "घर-घर परी ही बन कें जहाँ बीजरी सही..."   
                        ---------------------------------------

अपनी खुसी सूँ थोरें ई सब नें करी सही
भौरे नें दाब-दूब कें करबा लई सही

जै सोच कें ई सबनें उमर भर दई सही
समझे कि अब की बार की है आखरी सही

पहली सही नें लूट लयो सगरौ चैन-चान
अब और का हरैगी मरी दूसरी सही

मन कह रह्यौ है भौरे की बहियन कूँ फार दऊँ
फिर देखूँ काँ सों लाउतै पुरखान की सही

धौंताए सूँ नहर पे खड़ो है मुनीम साब
रुक्का पे लेयगौ मेरी सायद नई सही

म्हाँ- म्हाँ जमीन आग उगल रइ ए आज तक
घर-घर परी ही बन कें जहाँ बीजरी सही

तो कूँ भी जो 'नवीन' पसंद आबै मेरी बात
तौ कर गजल पे अपने सगे-गाम की सही

सही = दस्तख़त, सगरौ – सारा, कुल, हरैगी – हर लेगी, छीनेगी, मरी = ब्रजभाषा की एक प्यार भरी गाली, बहियन = बही का बहुवचन, लाउतै = लाता है, धौंताए सूँ = अलस्सुबह से, बीजरी = बिजली,
[ब्रजभाषा – ग्रामीण]
--------------------------------------------------------------------------

--नवीन सी. चतुर्वेदी
------------------
--yashoda Agrawal
(Wednesday, November 13)
-------------------------------

                     (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-४ यशोदा.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
                    -----------------------------------------------

-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-12.02.2023-रविवार.
=========================================