मेरी धरोहर-कविता सुमन-63-पीछे मुड़कर देख लिया तो पत्थर के हो जाओगे...

Started by Atul Kaviraje, February 13, 2023, 10:27:51 PM

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Atul Kaviraje

                                     "मेरी धरोहर"
                                    कविता सुमन-63
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मित्रो,

     आज पढेंगे, ख्यातनाम, "मेरी धरोहर" इस शीर्षक अंतर्गत, मशहूर, नवं  कवी-कवियित्रीयोकी कुछ बेहद लोकप्रिय रचनाये. आज की कविता का शीर्षक है- "पीछे मुड़कर देख लिया तो पत्थर के हो जाओगे..."

                     "पीछे मुड़कर देख लिया तो पत्थर के हो जाओगे..."   
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आस के रंगीं पत्थर कब तक गारों में लुढ़काओगे
शाम ढले कोहसारों में अपना खोज न पाओगे

जाने - पहचाने- से चेहरे अपनी सम्त बुलाएँगे
क़द्-क़दम पर लेकिन अपने साए से टकराओगे

हर टीले की ओट से लाखों वहशा आँखें चमकेंगी
माज़ी की हर पगडण्डी पर नेज़ों से घिर जाओगे

फ़नकारों का ज़हर तुम्हारे गीतों पर जम जाएगा
कब तक अपने होंठ, मेरी जां,सांपों से डसवाओगे

चीखेंगी बदमस्त हवाएँ ऊँचे-ऊँचे पेड़ों में
रूठ के जानेवाले पत्तों! कब तक वापस आओगे

जादू की नगरी है ये प्यारे, आवाजों पर ध्यान न दो
पीछे मुड़कर देख लिया तो पत्थर के हो जाओगे

कोहसारों: पर्वतों, नेज़ों: बरछियां, बदमस्त: तूफानी
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--नूर बिजनौरी 
प्रसिद्ध पाकिस्तानी श़ायर
पूरा नामः नूर-उल-हक़ सिद्दीकी
बिजनौर, उ.प्र.
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--yashoda Agrawal
(Tuesday, November 12, 2013)
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                      (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-४ यशोदा.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-13.02.2023-सोमवार.
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