मेरी धरोहर-कविता सुमन-68-नुक़सान करने लगता है मीठा कभी कभी...

Started by Atul Kaviraje, February 18, 2023, 10:35:26 PM

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Atul Kaviraje

                                     "मेरी धरोहर"
                                   कविता सुमन-68
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मित्रो,

     आज पढेंगे, ख्यातनाम, "मेरी धरोहर" इस शीर्षक अंतर्गत, मशहूर, नवं  कवी-कवियित्रीयोकी कुछ बेहद लोकप्रिय रचनाये. आज की कविता का शीर्षक है- "नुक़सान करने लगता है मीठा कभी कभी..."

                        "नुक़सान करने लगता है मीठा कभी कभी..."   
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लहजा भी इस ख़याल से बदला कभी कभी
नुक़सान करने लगता है मीठा कभी कभी

खतरे में डाल सकती है ऊंची कोई उड़ान
खुद पर भरोसा हद से ज़ियादा कभी कभी

खुद्दारियों का भारी लिबादा उतारकर
अपने ही हक़ को भीख में माँगा कभी कभी

थक हार कर ये तेरे तसव्वुर में लौटना
आसान लगने लगता है जीना कभी कभी

मेरी हथेलियों कि दरारों से पूछ लो
बदला भी है नसीब का लिक्खा कभी कभी

तय करते करते फासले घुटनो पे आ गए
इतना तवील होता है रस्ता कभी कभी

--सचिन अग्रवाल
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--yashoda Agrawal
(Monday, November 04, 2013)
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                     (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-४ यशोदा.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-18.02.2023-शनिवार.
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