मेरी धरोहर-कविता सुमन-69-कहीं हमने तुझे तन्हा न पाया...

Started by Atul Kaviraje, February 19, 2023, 10:23:50 PM

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Atul Kaviraje

                                     "मेरी धरोहर"
                                   कविता सुमन-69
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मित्रो,

     आज पढेंगे, ख्यातनाम, "मेरी धरोहर" इस शीर्षक अंतर्गत, मशहूर, नवं  कवी-कवियित्रीयोकी कुछ बेहद लोकप्रिय रचनाये. आज की कविता का शीर्षक है- "कहीं हमने तुझे तन्हा न पाया..."

                             "कहीं हमने तुझे तन्हा न पाया..."   
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उसे हमने बहुत ढूंढा न पाया
अगर पाया तो खोज अपना न पाया

जिस इन्सां को सगे-दुनिया न पाया
फ़रिश्ता उसका हमपाया न पाया

मुक़द्दर से ही गर सूदो-ज़िया है
तो हमने यां न कुछ खोया न पाया

अहाते से फ़लक के हम तो कब के
निकल जाते मगर रस्ता न पाया

जहां देखा किसी के साथ देखा
कहीं हमने तुझे तन्हा न पाया

किये हमने सलामे-इश्क तुझको!
कि अपना हौसला इतना न पाया

न मारा तूने पूरा हाथ क़ातिल!
सितम में भी तुझे पूरा न पाया

लहद में भी तेरे मुज़तर ने आराम
ख़ुदा जाने कि पाया या न पाया

कहे क्या हाय ज़ख्में-दिल हमारा
ज़ेहन पाया लबे-गोया न पाया

हमपायाः बराबर का, सूदो-ज़ियाः लाभ-हानि
लहदः कब्र, मुज़तरः प्रेम-रोगी, लबे-गोयाः वाक शक्ति
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--श़ायर ज़नाब मोहम्मद शेख इब्राहिम 'ज़ौक़'
सौजन्यः रसरंग, दैनिक भास्कर, 20 अक्टूबर, 2013
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--yashoda Agrawal
(Thursday, October 24, 2013)
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                     (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-४ यशोदा.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-19.02.2023-रविवार.
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