भारत डिस्कव्हरी-अंकन (लिपि)

Started by Atul Kaviraje, February 20, 2023, 10:27:09 PM

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Atul Kaviraje

                                   "भारत डिस्कव्हरी"
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मित्रो,

     "भारत डिस्कव्हरी" विषया-अंतर्गत, आज पढेंगे "इतिहास-कोश" इस श्रेणी-अंतर्गत एक इतिहास लेख. इस लेख का शीर्षक है- अंकन (लिपि)

                                   "अंकन (लिपि)"
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     अंकन (लिपि) को प्राय: 'क्यूनिफ़ार्म लिपि' या 'कीलाक्षर लिपि' भी कहते हैं। छठी-सातवीं सदी ई.पू. से लगभग एक हजार वर्षों तक ईरान में किसी-न-किसी रूप में इसका प्रचलन रहा। प्राचीन फ़ारसी या अबेस्ता के अलावा मध्ययुगीन फ़ारसी या ईरानी (300 ई.पू.-800 ई.) भी इसमें लिखी जाती थी। सिकंदर के आक्रमण के समय के प्रसिद्ध बादशाह दारा के अनेक अभिलेख एवं प्रसिद्ध शिलालेख इसी लिपि में अंकित है। इन्हें दारा के कीलाक्षर लेख भी कहते हैं।

                   प्रमुख बिंदु--

     इस लिपि का विकास मेसोपोटामिया एवं बेबीलोनिया की प्राचीन सभ्य जातियों ने किया था।
भाषाभिव्यक्ति चित्रों द्वारा होती थी और चित्र मेसोपोटामिया में कीलों से नरम ईटों पर अंकित किए जाते थे।
तिरछी-सीधी रेखाएँ खींचने में सरलता होती थी, किंतु गोलाकार चित्रांकन में प्राय: कठिनाई आती थी।
साम देश के लोगों ने इन्हीं से अक्षरात्मक लिपि का विकास किया, जिससे आज की अरबी लिपि विकसित हुई।
मेसोपोटामिया और साम से ही ईरान वालों ने इसे प्राप्त किया था।
कतिपय स्रोत इस लिपि को फ़िनीश (फ़ोनीशियन) लिपि से विकसित मानते हैं।
दारा प्रथम (ई. पू. 521-485) के खुदवाए कीलाक्षरों के 400 शब्दों में प्राचीन फ़ारसी के रूप सुरक्षित हैं।
क्यूनिफ़ार्म लिपि या कीलाक्षर नामकरण आधुनिक है। इसे 'प्रेसिपोलिटेन' भी कहते हैं।
यह अर्ध वर्णात्मक लिपि थी, इसमें 41 वर्ण थे, जिनमें 4 परमावश्यक एवं 37 ध्वन्यात्मक संकेत थे।

--भारत डिस्कव्हरी
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                     (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-भारत डिस्कव्हरी.org)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-20.02.2023-सोमवार. 
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