मेरी धरोहर-कविता सुमन-71-हमनें हर ताक पर सपनों को जला रखा है...

Started by Atul Kaviraje, February 21, 2023, 09:29:59 PM

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Atul Kaviraje

                                     "मेरी धरोहर"
                                   कविता सुमन-71
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मित्रो,

     आज पढेंगे, ख्यातनाम, "मेरी धरोहर" इस शीर्षक अंतर्गत, मशहूर, नवं  कवी-कवियित्रीयोकी कुछ बेहद लोकप्रिय रचनाये. आज की कविता का शीर्षक है- "हमनें हर ताक पर सपनों को जला रखा है..."

                       "हमनें हर ताक पर सपनों को जला रखा है..."   
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आज भी तेरी तस्वीर मैंनें आंगन में लगा रखा है
हर एक सांस पर तेरा नाम सजा रखा है

देख ना ले मेरे अश्कों मे तुझको कोई
हमने हर अश्क को पलकों में छुपा रखा है

गीले पलकों पर अब ख्वाब नहीं टिकता "कान्हा"
इस लिये हर ख्वाब तेरी राहों में बिछा रखा है

एक पल को भी ना वीरान हुआ कूचा मेरा
गम-ए तनहाई को जबसे हमने अपना बना रखा है

तुम चले गये तुम्हारी याद ना जाने दी हमने
आज अभी हर याद को सीने से लगा रखा है

आ जाना गर धुंधला जाए तेरी आँखों का काज़ल
हमनें हर ताक पर सपनों को जला रखा है

अच्छे लगते हैं अब तो गालों पे बहते आँसू
आँसुओं को पीने में भी अपना मज़ा रखा है

--प्रखर मालवीय 'कान्हा'
गृहलक्ष्मी में प्रकाशित रचना
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--yashoda Agrawal
(Tuesday, October 22, 2013)
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                    (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-४ यशोदा.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-21.02.2023-मंगळवार.
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