मेरी धरोहर-कविता सुमन-72-तुम इक दिन लौट आओगे..."

Started by Atul Kaviraje, February 22, 2023, 09:25:35 PM

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Atul Kaviraje

                                      "मेरी धरोहर"
                                     कविता सुमन-72
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मित्रो,

     आज पढेंगे, ख्यातनाम, "मेरी धरोहर" इस शीर्षक अंतर्गत, मशहूर, नवं  कवी-कवियित्रीयोकी कुछ बेहद लोकप्रिय रचनाये. आज की कविता का शीर्षक है- "तुम इक दिन लौट आओगे..."

                              "तुम इक दिन लौट आओगे..."   
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वही भीगा सा मौसम है, बरस के चल दिये बादल,
वही ठण्डी हवाओँ से लिपट के सो रहा हूँ मैं,

वही उन्माद का मौसम, वही बेचैनियोँ के पल,
तुम्हारी यादों को सीने से लगा के रो रहा हूँ मैं...

तुम्हारी दीद की खातिर मैं रुकता हूँ वहीँ अब भी,
जहाँ हमने बुने थे ख्वाब जमाने को परे रखकर,
तुम इक दिन लौट आओगे, यकीँ मै अब भी रखता हूँ मैं...

तेरी आँखेँ समन्दर थीँ, मेरी बातेँ समन्दर थीँ,
जो सहरा सी लगे हर पल,यही रातेँ समन्दर थीँ,

ख़फा होना मना लेना, मुहब्बत की निशानी थी,
मगर यूँ रुठ जाओगे हमेशा के लिये हमसे,

कभी सोचा ना था हमने, कभी चाहा ना था हमने,
वही सुनसान से रस्ते वही पर आस आँखो की,

वही खामोश आलम मे चुभे आवाज साँसो की,
कोई आहट नहीँ तेरी कोई खत भी नहीँ आया ,
मगर तुम लौट आओगे यकीँ मैँ अब भी रखता हूँ मैं...

--प्रखर मालवीय 'कान्हा'
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--yashoda Agrawal
(Tuesday, October 22, 2013)
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                    (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-४ यशोदा.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-22.02.2023-बुधवार.
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