भारत डिस्कव्हरी-अंकोरवाट

Started by Atul Kaviraje, February 23, 2023, 10:02:55 PM

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Atul Kaviraje

                                   "भारत डिस्कव्हरी"
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मित्रो,

     "भारत डिस्कव्हरी" विषया-अंतर्गत, आज पढेंगे "इतिहास-कोश" इस श्रेणी-अंतर्गत एक इतिहास लेख. इस लेख का शीर्षक है- अंकोरवाट.

                                     "अंकोरवाट"
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अंकोरवाट--
अंकोरवाट मन्दिर--
विवरण-अंकोरवाट जयवर्मा द्वितीय के शासनकाल (1181-1205 ई.) में कम्बोडिया की राजधानी था। इसका विशाल भव्य मन्दिर अंकोरवाट के नाम से आज भी विख्यात है। यह मन्दिर विष्णु को समर्पित है।
निर्माता-राजा सूर्यवर्मा द्वितीय
निर्माण काल-12वीं शती
प्रसिद्धि-इसमें तीन खण्ड हैं, जिसमें प्रत्येक में सुन्दर मूर्तियाँ हैं और प्रत्येक खण्ड से ऊपर के खण्ड तक पहुँचने के लिए सीढ़ियाँ हैं। प्रत्येक खण्ड में आठ गुम्बज हैं, जिनमें से प्रत्येक 180 फ़ुट ऊँची है।
अन्य जानकारी-वास्तुकला के आश्चर्य, इस देवालय के चारों ओर एक गहरी खाई है जिसकी लंबाई ढाई मील और चौड़ाई 650 फुट है। खाई पर पश्चिम की ओर एक पत्थर का पुल है।
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     अंकोरवाट कम्बोडिया, जिसे पुराने लेखों में कम्बुज भी कहा गया है। यहाँ भारत के प्राचीन और शानदार स्मारक हैं। यहाँ संसार-प्रसिद्ध विशाल विष्णुमंदिर है। अंकोरवाट मन्दिर अंकोरयोम नामक नगर में स्थित है, जिसे प्राचीन काल में यशोधरपुर कहा जाता था। अंकोरवाट जयवर्मा द्वितीय के शासनकाल (1181-1205 ई.) में कम्बोडिया की राजधानी था। यह अपने समय में संसार के महान् नगरों में गिना जाता था और इसका विशाल भव्य मन्दिर अंकोरवाट के नाम से आज भी विख्यात है। अंकोरवाट का निर्माण कम्बुज के राजा सूर्यवर्मा द्वितीय (1049-66 ई.) ने कराया था और यह मन्दिर विष्णु को समर्पित है।

                   वास्तुकला विशेषताएँ--

     वास्तुकला के आश्चर्य, इस देवालय के चारों ओर एक गहरी खाई है जिसकी लंबाई ढाई मील और चौड़ाई 650 फुट है। खाई पर पश्चिम की ओर एक पत्थर का पुल है। मंदिर के पश्चिमी द्वार के समीप से पहली वीथि[1] तक बना हुआ मार्ग 1560 फुट लंबा है और भूमितल से सात फुट ऊंचा है। पहली वीथि पूर्व से पश्चिम 800 फुट और उत्तर से दक्षिण 675 फुट लंबी है। मंदिर के मध्यवर्ती शिखर की ऊंचाई भूमितल से 210 फुट से भी अधिक है। अंकोरवाट की भव्यता तो उल्लेखनीय है ही, इसके शिल्प की सूक्ष्म विदग्धता, नक्शे की सममिति[2], यथार्थ अनुपात तथा सुंदर अलंकृत मूर्तिकारी भी उत्कृष्ट कला की दृष्टि से कम प्रशंसनीय नहीं है।

                 अंकोरवाट, कंबोडिया--

यह मन्दिर एक ऊँचे चबूतरे पर स्थित है। इसमें तीन खण्ड हैं, जिसमें प्रत्येक में सुन्दर मूर्तियाँ हैं और प्रत्येक खण्ड से ऊपर के खण्ड तक पहुँचने के लिए सीढ़ियाँ हैं।
प्रत्येक खण्ड में आठ गुम्बज हैं, जिनमें से प्रत्येक 180 फ़ुट ऊँची है।
मुख्य मन्दिर तीसरे खण्ड की चौड़ी छत पर है।
उसका शिखर 213 फ़ुट ऊँचा है और यह पूरे क्षेत्र को गरिमा मंडित किये हुए है।
मन्दिर के चारों ओर पत्थर की दीवार का घेरा है जो पूर्व से पश्चिम की ओर दो-तिहाई मील और उत्तर से दक्षिण की ओर आधे मील लम्बा है।
इस दीवार के बाद 700 फ़ुट चौड़ी खाई है, जिस पर एक स्थान पर 36 फ़ुट चौड़ा पुल है। इस पुल से पक्की सड़क मन्दिर के पहले खण्ड द्वार तक चली गयी है।
इस प्रकार की भव्य इमारत संसार के किसी अन्य स्थान पर नहीं मिलती है।
भारत से सम्पर्क के बाद दक्षिण-पूर्वी एशिया में कला, वास्तुकला तथा स्थापत्यकला का जो विकास हुआ, उसका यह मन्दिर चरमोत्कृष्ट उदाहरण है।

--भारत डिस्कव्हरी
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                      (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-भारत डिस्कव्हरी.org)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-23.02.2023-गुरुवार.
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