ऑल इंडिया ब्लॉगर्स असोसिएशन-ईमानदारी की बात में भी ईमानदारी नहीं...

Started by Atul Kaviraje, February 24, 2023, 10:17:08 PM

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Atul Kaviraje

                             "ऑल इंडिया ब्लॉगर्स असोसिएशन"
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मित्रो,

     आज सुनते है, "ऑल इंडिया ब्लॉगर्स असोसिएशन" इस ब्लॉग के अंतर्गत, एक लेख/कविता.

                         ईमानदारी की बात में भी ईमानदारी नहीं...
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     अब टीम अन्ना ईमानदारी की नई परिभाषा गढ़ रही है । लोकपाल में एनजीओ को शामिल किए जाने से ना जाने क्यों उनकी परेशानी बढ़ गई है । लोकपाल में और किसे किसे शामिल किया जाए, इससे ज्यादा जोर टीम  अन्ना का इस पर है कि कैसे एनजीओ को इससे  बाहर किया जाए । अब आंदोलन की हकीकत इसी बात से सामने आती है । मेरा मानना है कि आप ये मांग तो कर सकते हैं कि लोकपाल के दायरे में प्रधानमंत्री, जजों को भी शामिल किया जाना चाहिए, लेकिन आप ये मांग भला कैसे कर सकते हैं कि एनजीओ को इसके दायरे में नहीं लाया जाना चाहिए ।

     मेरी समझ में तो नहीं आ रहा है, आप अगर समझ रहे हैं तो मुझे भी बताएं । इस मांग का मतलब तो यही है ना  कि " ए "  को चोरी करने की छूट होनी चाहिए, लेकिन   " बी " को चोरी करने का बिल्कुल हक नहीं होना चाहिए । एनजीओ को लोकपाल में लाने की खबर से टीम अन्ना की हवाइयां उड़ गईं । टीम के सबसे ईमानदार और मजबूत सहयोगी अरविंद केजरीवाल ने तो आनन फानन में  सरकार को रास्ता भी सुझा दिया, उनका कहना है कि चलो अगर एनजीओ को लोकपाल के दायरे में लाया ही जाना है तो सबको ना लाया जाए, सिर्फ उसे ही लाएं जो एनजीओ सरकारी पैसों की मदद लेते हैं । हाहाहाहहाहा हंसी आती इस ईमानदार सामाजिक कार्यकर्ता पर ।

     अरे केजरीवाल साहब हम एनजीओ से तो ये उम्मीद करते हैं ना कि वो ईमानदारी से काम करते होंगे । फिर आपकी छटपटाहट की वजह क्या है ? अन्ना जी तो बेचारे हर जांच खुद अपने से शुरू करने की मांग करते हैं ।  वो कहते हैं कि सबसे पहले उनकी ही जांच हो , लेकिन आपको ऐसा करने में दिक्कत क्यों है । मैं दूसरे एनजीओ की चर्चा नहीं करुंगा,  पहले आपकी दूसरी सहयोगी किरन बेदी की बात कर लेते हैं । उनके एनजीओ को सरकार से पैसा मिला या नहीं, मै ये तो नहीं जानता , लेकिन पुलिस कर्मियों के बच्चों को कम्प्युटर और कम्प्युटर ट्रेनिंग के लिए माइक्रोसाप्ट कंपनी ने 50 लाख रुपये लिए गए । अब आरोप लग रहा है कि उन्होंने इस पैसे का दुरुपयोग किया । ये सरकारी पैसा भले ही ना हो, लेकिन सरकारी कर्मचारियों के बच्चों के नाम पर लिया गया पैसा था, अगर इसमें बेईमानी  हुई है तो शर्मनाक है और दोषी लोगों को सख्त सजा होनी ही चाहिए । आप  चाहते  हैं कि ऐसे लोगों  को हाथ  में तिरंगा लेकर ईमानदारी की बात करने की छूट होनी  चाहिए ।

     आप खुद सोचें कि जो ईमानदारी की बडी बड़ी बातें कर रहे हैं, उनके दामन साफ नहीं है,  कोर्ट ने सुनवाई के बाद उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर जांच करने के आदेश दिए हैं, तो फिर और एनजीओ का क्या हाल होगा । आखिर अरविंद केजरीवाल को  इससे दिक्कत  क्यों है ? वो किसे बचाना चाहते हैं ? मेरा अनुभव रहा है कि बहुत सारे सामाजिक संगठन विदेशों  से पैसे लेते हैं, मकसद होता है का गरीबों को मुफ्त इलाज, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा,  गांव का विकास, बाल श्रम पर रोक, महिला सशक्तिकरण,  पर  क्या ईमानदारी से सामाजिक संगठन ये काम करते हैं, दावे के साथ कह सकता हूं.. नहीं । ऐसे में अगर इन्हें  लोकपाल के दायरे में लाने की बात हो रही है तो आखिर इसमे बुराई क्या है, क्यों केजरीवाल आग बबूला हैं ?

--महेन्द्र श्रीवास्तव
(शनिवार, 3 दिसंबर 2011)
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   (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-allindiabloggersassociation.blogspot.com)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-24.02.2023-शुक्रवार.
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