मेरी धरोहर-कविता सुमन-77-नूरानी रुख़ बेपरदा हो जाता है...

Started by Atul Kaviraje, February 27, 2023, 10:11:53 PM

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Atul Kaviraje

                                     "मेरी धरोहर"
                                   कविता सुमन-77
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मित्रो,

     आज पढेंगे, ख्यातनाम, "मेरी धरोहर" इस शीर्षक अंतर्गत, मशहूर, नवं  कवी-कवियित्रीयोकी कुछ बेहद लोकप्रिय रचनाये. आज की कविता का शीर्षक है- "नूरानी रुख़ बेपरदा हो जाता है..."

                             "नूरानी रुख़ बेपरदा हो जाता है..."   
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होठों तक आकर छोटा हो जाता है
सागर भी मुझको क़तरा हो जाता है

इंसानों के कुनबे में, इंसां अपना
इंसांपन खोकर नेता हो जाता है

दिन क्या है, शब का आँचल ढुलका कर वो
नूरानी रुख़ बेपरदा हो जाता है

तेरी दुनिया में, तेरे कुछ बंदों को
छूने से मज़हब मैला हो जाता है

जीवन एक ग़ज़ल है, जिसमें रोज़ाना
तुम हँस दो तो इक मिसरा हो जाता है

इस दुनिया में अक्सर रिश्तों पर भारी
काग़ज़ का हल्का टुकड़ा हो जाता है

जिस दिन तुझको देख न पाऊं सच मानो
मेरा उजला दिन काला हो जाता है

नफ़रत निभ जाती है पीढ़ी दर पीढ़ी
प्यार करो गर तो बलवा हो जाता है

झूंठ कहूं, मुझमें यह ऐब नहीं यारों
गर सच बोलूं तो झगड़ा हो जाता है

काला जादू है क्या उसकी आँखों में
जो देखे उसको, उसका हो जाता है

रखता है 'खुरशीद' चराग़े-दिल नभ पर
उजला मौसम चौतरफ़ा हो जाता है

--ख़ुरशीद'खैराड़ी'
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--yashoda Agrawal
(Wednesday, October 16, 2013)
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                    (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-४ यशोदा.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-27.02.2023-सोमवार. 
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