मेरी धरोहर-कविता सुमन-78-कैसे फिर तेरा मेरा हो जाता है...

Started by Atul Kaviraje, February 28, 2023, 10:16:15 PM

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Atul Kaviraje

                                      "मेरी धरोहर"
                                    कविता सुमन-78
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मित्रो,

     आज पढेंगे, ख्यातनाम, "मेरी धरोहर" इस शीर्षक अंतर्गत, मशहूर, नवं  कवी-कवियित्रीयोकी कुछ बेहद लोकप्रिय रचनाये. आज की कविता का शीर्षक है- "कैसे फिर तेरा मेरा हो जाता है..."

                             "कैसे फिर तेरा मेरा हो जाता है..."   
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शाम का चेहरा जब धुँधला हो जाता है
मन भारी भीगा-भीगा हो जाता है

यौवन, चेहरा, आँखें बहकें ही बहकें
रंग हिना का जब गाढ़ा हो जाता है

यकदम मर जाना,क्या मरना,यूँ भी तो
'धीरे धीरे सब सहरा हो जाता है'

सपने की इक पौध लगाओ जीवन में
सुनते हैं ये पेड़ बड़ा हो जाता है

सब साझा करते, पलते, भाई भाई
कैसे फिर तेरा मेरा हो जाता है

ग़ोता गहरे पानी में मोती देगा
मन लेकिन उथला-उथला हो जाता है

बाँट रहा है सुख दुःख जाने कौन यहाँ
जो जिस को मिलता उसका हो जाता है

शीशा है दिल अक्स दिखायी देगा ही
मुस्काता जो बस अपना हो जाता है

देख लहू का रंग बहुत बतियायेगा
पूछेगा,वो क्यूँ फीका हो जाता है

भांज रहे हैं वो तलवारें, भांजेंगे
बस मुद्दा पारा पारा हो जाता है

--अश्वनी शर्मा
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--yashoda Agrawal
(Tuesday, October 15, 2013)
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                     (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-४ यशोदा.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-28.02.2023-मंगळवार.
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