ऑल इंडिया ब्लॉगर्स असोसिएशन-ज़िंदगी का कुआँ--

Started by Atul Kaviraje, March 04, 2023, 10:36:55 PM

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Atul Kaviraje

                             "ऑल इंडिया ब्लॉगर्स असोसिएशन"
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मित्रो,

     आज सुनते है, "ऑल इंडिया ब्लॉगर्स असोसिएशन" इस ब्लॉग के अंतर्गत, एक लेख/कविता.

                                    ज़िंदगी का कुआँ--
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जाने क्यों तुम इसे
मौत का कुआं कहते हो
मेरे लिए तो इसका हर ज़र्रा
ज़िंदगी से बना है
कभी ध्यान से देखो
ये ज़िंदगी का कुआँ है

जैसे ज़िंदगी हमें
गोल गोल नचाती है
वैसे मेरी मोटर भी
चक्करों मे चलती है
रंग बदलता है जीवन
नित नए जैसे
वैसे ही ये अपने
गियर बदलती है
ध्यान भटकने देना
दोनों जगह मना है
कभी ध्यान से देखो
ये ज़िंदगी का कुआँ है

रफ्तार सफलता की
ऊपर ले जाती है
और आकांक्षा गुरुत्व है
संतुलन उस से ही है
यहाँ टिकता वही है
जो सामंजस्य बना चला है
कभी ध्यान से देखो
ये ज़िंदगी का कुआँ है

छोड़ो इन बातों को
ये सब तो बस बातें है
कभी आओ मेरे घर
मेरा घर देखो
इस कुयेँ के कारण ही
आज वहाँ भोजन बना है
फिर कैसे कहते हो तुम
कि ये मौत का कुआँ है

कभी ध्यान से देखो
ये ज़िंदगी का कुआँ है

--S.VIKRAM
(मंगलवार, 29 नवंबर 2011)
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   (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-allindiabloggersassociation.blogspot.com)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-04.03.2023-शनिवार.
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