भारत डिस्कव्हरी-अंडमान द्वीपसमूह

Started by Atul Kaviraje, March 05, 2023, 10:47:11 PM

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Atul Kaviraje

                                  "भारत डिस्कव्हरी"
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मित्रो,

     "भारत डिस्कव्हरी" विषया-अंतर्गत, आज पढेंगे "इतिहास-कोश" इस श्रेणी-अंतर्गत एक इतिहास लेख. इस लेख का शीर्षक है- अंडमान द्वीपसमूह.

                                  "अंडमान द्वीपसमूह"
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                     भू-भाग--

     अंडमान का मुख्य भूभाग पाँच प्रधान द्वीपों से बना है, जो एक-दूसरे के सन्निकट स्थित हैं। इन द्वीप समूहों को 'बृहत्‌ अंडमान' कहते हैं। बृहत्‌ अंडमान के दक्षिण में लघु अंडमान और पूर्व में रिची द्वीपपुंज स्थित है। दक्षिण के द्वीपों में मैनर्स स्ट्रेट है, जो अंडमान के समुद्री व्यवसाय का मुख्य मार्ग है। इसके पूर्व भाग में पोर्ट ब्लेयर नामक नगर स्थित है, जो अंडमान की राजधानी और प्रधान बंदरगाह है। अंडमान का समुद्र तट बहुत ही कटा हुआ है, जिसके कारण भूभाग के भीतर कई मील तक ज्वारभाटा आता है। इसलिए यहाँ कई प्राकृतिक बंदरगाह हैं। इनमें से पोर्ट ब्लेयर, पोर्ट कार्नवालिस और स्टिवार्ट प्रसिद्ध हैं। कहा जाता है कि इन द्वीपों की माला बर्मा की आराकान योमा नामक पर्वत श्रेणियों का ही विस्तार है, जो इयोसीन युग में बनी थी। इनमें छोटे-छोटे सर्पेंटाइन तथा चूना पत्थर के भाग दिखाई देते हैं। संभवत ये माइओसिन युग की देन हैं। इन द्वीप मालाओं के पूर्वी भाग में स्थित मर्तबान की खाड़ी के भीतर छोटे-छोटे आग्नेय द्वीप भी दिखाई देते हैं। इन्हें नारकोनडाम और बैरन द्वीपपुंज कहते हैं। अंडमान के सभी समुद्र तटों पर मूँगे (प्रवाल) की प्राचीर माला दिखाई देती है।

                    पहाड़ी व समतल क्षेत्र--

     बृहत्‌ अंडमान का भूभाग कुछ पहाड़ियों से बना है, जो अत्यंत संकीर्ण उपत्यकाओं का निर्माण करती हैं। ये पहाड़ियाँ, विशेषकर पूर्वी भाग में, काफ़ी ऊपर तक उठी हुई हैं और पूर्वी ढाल पश्चिमी ढाल की अपेक्षा अधिक खड़ी है। अंडमान की पहाड़ियों का सर्वोच्च शिखर उत्तरी अंडमान में है जो 2,400 फुट ऊँचा है। इसे सैडल पीक कहते हैं। छोटा अंडमान प्राय समतल है। इन द्वीपों में कहीं भी नदियाँ नहीं हैं, केवल छोटे मौसमी नाले दिखाई देते हैं। अंडमान का प्राकृतिक दृश्य बहुत ही रमणीक है।

                   वर्षा की स्थिति--

     अंडमान की जलवायु भारतवर्ष की दक्षिण पश्चिमी मानसूनी जलवायु और पूर्वी द्वीपसमूह की विश्वतरेखीय जलवायु के बीच की है। यहाँ का ताप साल भर लगभग बराबर रहता है, जिसका औसत मान 85 डिग्री फारेनहाइट है। पर्याप्त वर्षा होती है, जिसकी औसत मात्रा 100 के ऊपर है। जून से सितंबर तक वर्षा अधिक होती है और शेष महीने शुष्क होते हैं। बंगाल की खाड़ी तथा हिंद महासागर की ऋतु का पूर्वनुमान करने के लिए अंडमान की स्थिति बहुत ही लाभदायक है। इस कारण पोर्ट ब्लेयर में 1868 में एक बड़ा ऋतु केंद्र खोला गया था। यह केंद्र आज भी इन समुद्रों में चलने वाले जहाजों को तूफानों की दिशा तथा तीव्रता का ठीक संवाद देता रहता है।

                वनस्पति व आयात सामग्री--

     अंडमान के कुछ घने आबाद स्थानों को छोड़कर शेष भाग अधिकतर उष्णप्रदेशीय जंगलों से ढका है। भारत सरकार के निरंतर प्रयत्न से जंगलों को साफ करके आबादी के योग्य काफ़ी स्थान बना लिया गया है, जिसमें 1937 ई. तक लगभग चार हजार विस्थापितों को बसाया गया है। ये विस्थापित अधिकतर पूर्वी पाकिस्तान (जो अब स्वतंत्र एवं प्रभुता संपन्न बांग्लादेश है) से आए हैं। अंडमान की प्रधान उपज यहाँ की जंगली लकड़ियाँ हैं, जिनमें अंडमान की लाल लकड़ियाँ प्रसिद्ध हैं। इनके अतिरिक्त नारियल तथा रबर के पेड़ भी अच्छी तरह उगते हैं। आजकल यहाँ मैनिला हेंप तथा सीसल हेंप नामक सूत्रोंत्पादक पौधों को उगाने की चेष्टा की जा रही है। आयात सामग्री में चाय, कहवा, कोको, सन, साल आदि प्रमुख हैं। यहाँ सुंदर पेड़ों वाले दलदल अधिक हैं। ये पेड़ ईधंन के काम में आते हैं। अंडमान में जंतु अपेक्षाकृत कम हैं। दुग्धपायी जंतुओं की जातियाँ भी बहुत कम हैं। बड़े जंतुओं में सूअर और बनबिलार मुख्य हैं।

--भारत डिस्कव्हरी
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                     (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-भारत डिस्कव्हरी.org)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-05.03.2023-रविवार.
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