होली-रंगपंचमी-कविता-10

Started by Atul Kaviraje, March 06, 2023, 11:20:23 AM

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Atul Kaviraje

                                    होली-रंगपंचमी
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मित्रो,

     आज दिनांक-०६.०३.२०२३-सोमवार है. आज होली है. आईए, सभी बुरी, अनिष्ट प्रवृत्तियों को इस होली मे जलIकर नाश करे, एवं अच्छे विचारोका अवलंब करे. मराठी कविताके मेरे सभी भाई-बहन कवी-कवियित्रीयोको होली की अनेक हार्दिक शुभेच्छाये. आईए, पढते होली की कुछ कविताये-रचनाये--

कहे धरती ये पुकार,
आया होली का त्यौहार,
छोड़ सर्दी ली मौसम ने करवट,
लेकर अंगड़ाई आई है होली।

भेद-भाव को गिरा चले हम,
बढ़ी दूरियां मिटा चले हम,
गुलालों से तन है सजी,
पकवानों से रसोई है सजी,
बच्चे और नौजवानों की टोली,
रंगों संग पिचकारी है बोली,
बुरा ना मानो आई है होली।

मिलकर गले भाईचारा बढ़ाएं,
मेलजोल का पाठ पढ़ाएं,
संग हमारे धरती भी खेल रही होली।

धरती के सर पर चुनरी नीली नीली,
पैरों तले हरियाली ओढे खेत पीली पीली,
रंगों का यह मेल दिखाती,
एक दूजे बिन अधूरा है सिखाती,
जंग की रंगीन दुनिया में भी,
दिल की चादर कोरी कोरी,
तन संग मन भी भीग जाए,
ऐसे रंग में रंग दे होली।

अपनापन का रंग लगाकर,
सुख के रंग भर दे तो खुश रंग है होली।

प्रीत का ज्योत जलाकर,
सबको मीत बना दे तो,
झूम कर यह कह उठे दिल,
हर दिन है सब की होली।

                      (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-अजब गजब.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-06.03.2023-सोमवार.
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