मेरी धरोहर-कविता सुमन-85-चांद तारों को भी तस्खीर तो करते रहिये...

Started by Atul Kaviraje, March 07, 2023, 10:22:13 PM

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Atul Kaviraje

                                      "मेरी धरोहर"
                                    कविता सुमन-85
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मित्रो,

     आज पढेंगे, ख्यातनाम, "मेरी धरोहर" इस शीर्षक अंतर्गत, मशहूर, नवं  कवी-कवियित्रीयोकी कुछ बेहद लोकप्रिय रचनाये. आज की कविता का शीर्षक है- "चांद तारों को भी तस्खीर तो करते रहिये..."

                         "चांद तारों को भी तस्खीर तो करते रहिये..."   
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चांद तारों को भी तस्खीर तो करते रहिये
बन्दगी की है ये मेराज कि नीचे रहिये

आगे बढ़ने की ये जिद, जान भी ले सकती है
शाह्जादे यही बेहतर है कि पीछे रहिये

जो भी होना है वही ज़िल्ले-इलाही होगा
आप क्यूं फिक्र करें, आप तो पीते रहिये

है बगावत यहाँ कद अपना बढ़ाने का ख्याल
सिर्फ साये में बड़े लोगों के जीते रहिये

एक से हाथ मिलाया तो मिलाएंगे सभी
भीड़ में हाथ को अपने अभी खींचे रहिये

रास्तो! क्या हे वोह लोग जो आते जाते
मेरे आदाब पे कहते थे कि जीते रहिये

अज्मत-ए-बखियागिरी इस में है 'अजहर साहब'
दूसरे चाक गिरेबान भी सीते रहिये

--अजहर इनायती
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--yashoda Agrawal
(Tuesday, October 08, 2013)
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                     (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-४ यशोदा.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-07.03.2023-मंगळवार.
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