निबंध-क्रमांक-192-ग्रामीण जीवन पर निबंध

Started by Atul Kaviraje, March 09, 2023, 10:27:06 PM

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Atul Kaviraje

                                         "निबंध"
                                       क्रमांक-192
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मित्रो,

      आईए, पढते है, ज्ञानवर्धक एवं ज्ञानपूरक निबंध. आज के निबंध का शीर्षक है- " ग्रामीण जीवन पर"

                               ग्रामीण जीवन पर निबंध--
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             ग्रामीण जीवन की समस्याएँ  (Gramin jeevan ki samasya)--

               ग्रामीण असुविधाएँ--

     आज के समय में हर इंसान सुविधा चाहता है, और यह सत्य है की गाँवो में शहरों की अपेक्षा सुविधाएँ नाम मात्र की भी नहीं है। गाँवो में रहने वाले लोग अपनी हर एक जरूरत चाहे वह खेती के संसाधन हो या घरों का सामान आदि के लिए शहरों पर निर्भर करते है। उन्हे अपनी हर छोटी से छोटी जरूरत के लिये शहर आना पड़ता है, जिसमें उनका समय और पैसा दोनों व्यर्थ जाते है।

                     शिक्षा का अभाव--

     शिक्षा विकास का एकमात्र साधन है, जो की गाँवो में मौजूद नहीं है। आज भी कई गाँवो में स्कूल नहीं है और अगर स्कूल है भी तो उनमें शिक्षा का स्तर और व्यवस्थाए सही नहीं है। गाँवो में रहने वाले बच्चों को स्कूल के लिये शहर की ओर आना पड़ता है और अगर वे गाँव के स्कूल में शिक्षा ले भी लेते है, तो उच्च शिक्षा के लिये शहर ही एकमात्र स्थान बचता है।

                    विकास की धीमी रफ्तार--

     जो गाँव, शहरों के किनारे या मुख्य राजमार्गों पर बसे है, उनका तो विकास हो गया है, परंतु जो गाँव शहरी सीमा से दूर है वे अभी भी विकास की राह देख रहे है। कई गाँवो को तो अब तक मुख्य सड़को से जोड़ा भी नहीं गया है। नेता और राजनीतिक पार्टियाँ केवल चुनाव के समय इन गाँवो की ओर रुख करती है, और ग्राम वासियों के मन में नयी आस दे जाते है।

                    स्वास्थ की सम्पूर्ण सुविधा उपलब्ध न होना--

     गाँवो में न अस्पताल है, न ही कोई अन्य सुविधा। और अगर किसी गाँव में अस्पताल है भी तो वहाँ कोई डॉक्टर अपनी सेवाए देना नहीं चाहते। अगर किसी जगह अस्पताल और डॉक्टर दोनों मौजूद है, तब भी वहाँ सम्पूर्ण संसाधन के अभाव में हर ग्रामवासी को अपनी छोटी सी परेशानी में शहरों की ओर रुख करना पड़ता है।

                    मौसम की मार--

     हम सभी जानते है कि भारतीय किसान पूरी तरह से कृषि पर निर्भर करते है। वर्षा की बढ़ती अनियमित्ता और पर्यावरण प्रदूषण का सबसे गहरा असर कृषि पर ही पढ़ता है। लगातार कई वर्षो से वर्षा का स्तर कम होता जा रहा है और इसका असर कृषि और किसानों पर पढ़ता है।

                     अवैधानिक तत्वो की मौजूदगी--

     आपको जानकर आश्चर्य होगा, कि गाँवो में आज भी जुआ सट्टा और मादक पदार्थो की बिक्री खुलेआम जारी है। यहाँ तक की गाँवो में रहने वाले बच्चे भी इनकी ओर आकर्षित होते है और गलत आदतों का शिकार होते चले जाते है।

                   परिवहन के साधनों का अभाव--

     गाँव के लोगों को परिवहन के लिये भी समस्याओ से जुंझना पढ़ता है. बड़ी और फास्ट ट्रेनों के तो गाँवो में स्टाप ही नहीं होते, नाही गाँवो में अच्छी सर्वसुविधायुक्त बसें जाती हैं। कुछ ग्राम वासियों को तो एक बस का इंतजार दिनभर करना होता है और इनमें सफर करते वक़्त असुविधा की भी कमी नही होती।

                      भौतिक सुख सुविधाओ का अभाव--

     गाँवो में शहरों की अपेक्षा सुखसुविधा के सामान मौजूद नही होते। जैसे अगर ग्रामवासी खर्चा करके फ्रीज़, कूलर आदि खरीद भी ले, तो उन्हे बिजली सही समय पर उपलब्ध नही होती।

--स्नेहा
(February 13, 2023)
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                (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-दीपावली.को.इन/निबंध-एसे-हिंदी)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-09.03.2023-गुरुवार.
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