मेरी धरोहर-कविता सुमन-88-शुभ है केवल साथ तेरा...

Started by Atul Kaviraje, March 10, 2023, 10:26:16 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

                                      "मेरी धरोहर"
                                    कविता सुमन-88
                                   ---------------- 

मित्रो,

     आज पढेंगे, ख्यातनाम, "मेरी धरोहर" इस शीर्षक अंतर्गत, मशहूर, नवं  कवी-कवियित्रीयोकी कुछ बेहद लोकप्रिय रचनाये. आज की कविता का शीर्षक है- "शुभ है केवल साथ तेरा..."

                               "शुभ है केवल साथ तेरा..."   
                              -------------------------

अब न नभ तक कोई तारक
और ओझल चंद्रमा है
है तो नीरवता ही केवल
कालिमा ही कालिमा है

नींद में हैं सब अभी भी
वृक्षों पर खग कुल बसेरा
यह निशा का घन अंधेरा
शुभ है केवल साथ तेरा

तेरी सांसों की मैं खुशबू
अपनी सांसों आज ले लूं
खोल दो तुम केश अपने
प्यार से जी भर के खेलूं

ले के पलभर को टिका लो
अपने कांधे सर ये मेरा
यह निशा का घन अंधेरा
शुभ है केवल साथ तेरा

आ मिला दो धड़कनों को
आज मेरी धड़कनों से
मुक्त होने दो मुझे फिर
काल के इन बंधनों से

बांध लो कसकर मुझे तुम
डालकर बांहों का घेरा
यह निशा का घन अंधेरा
शुभ है केवल साथ तेरा

आओ मेरे पास आओ
मुंह हथेली आज भर लूं
चूम लूं अधरों को तेरे
होठों को होठों में ले लूं

झांक कर तेरे नयन फिर
खोज लूं एक नव सवेरा
यह निशा का घन अंधेरा
शुभ है केवल साथ तेरा।

--विजय कुमार सिंह
-----------------
--yashoda Agrawal
(Thursday, October 03, 2013)
----------------------------------

                     (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-४ यशोदा.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
                     ----------------------------------------------

-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-10.03.2023-शुक्रवार.
=========================================