II श्री शनी देवाय नमः II-शनिदेव भक्ती-भजन-जय शनिदेव भक्त हितकारी

Started by Atul Kaviraje, March 11, 2023, 10:15:26 PM

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Atul Kaviraje

                                II श्री शनी देवाय नमः II
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मित्र/मैत्रिणींनो,

     आज शनिवार. श्री शनी देवाचा वार. आज ऐकुया, शनिदेवाचे भक्ती-भजन. या भजनIचे बोल आहेत - "जय शनिदेव भक्त हितकारी"

     जय शनिदेव भक्त हितकारी लिरिक्स | Jai Shanidev Bhakt Hitkari Lyrics
शनि देव का यह अद्बुध भजन "जय जय श्री शनिदेव लिरिक्स | Jai Shanidev Bhakt Hitkari Lyrics" कुमार विशु जी के द्वारा गाया गया है। शनि देव को सुख समृदि, वैभव देने वाला देव माना जाता है। पापियों को सजा और ईमानदारों को यश,धन देते है।

                                  शनिदेव भक्ती-भजन
                              "जय शनिदेव भक्त हितकारी"
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जय शनिदेव भक्त हितकारी,
सुनलीजै प्रभु अर्ज हमारी ।
जन के काज विलंब न कीजो,
आन के नाथ महा सुख दीजो ।।

जो जड चेतन हे जग माहि,
तुम्हरी दृष्टी छुपत कोहु नाही ।
दृष्टी दया कर मोही उबारो,
रवि तनय मम संकट तारो ।।

जोपै गुपित होउ तुम देवा,
सुख शांति भस्मी कर देवा ।
जापे वर प्रद कर धर देहु,
ताहि सुखी सपन्न करेहूँ ।।

जयति जयति जय हे शनि देवा ।
तीनो लोक हो तेरी सेवा ।।

तुम्हरे कोप जगत भर माया,
सूर्य पुत्र तुम माता छाया ।
रूप भयानक अति भयंकर,
ध्यावे ब्रम्हा विष्णु शंकर ।।

विष स्वरूप अति विद्रूपा ।
पूजित लोक हे नवग्रह भूपा ।।

जय शनि देव जयति बल सागर,
सुर समूह समरथ भटनागर ।
शाम वसन तन सोहत स्वामी,
हे छाया सूत नमो नमामी ।।

धर्मरक्षा को स्वामी धावो,
ब्रजगदहनु विलंब न लागो ।
गदा वज्र लैवेरही मारो,
दिन जनन को नाथ उबारो ।।

दिर्घ दिर्घ तर गात विशाला,
नाहीकोउ बैर बाँधनेवाला ।
देवदनुज सब कहे भयकारी,
तुम बिन कोई कलेश न तारी ।।

ग्रहपीड़ा हरना रविनंदन,
शनि देव तुम शत शत वंदन ।
पूजा जप तप लेम अचारा,
नाही जानत हो दास तुम्हारा ।।

वन उपवन मघ गिरि ग्रह माही,
तुम्हरे बल हम डरपत नाही ।
पाय परो करी जोर मनाउ,
ध्यान तेरा शनी देव लगाउ ।।

सूर्यपुत्र हे ये यम के भ्रांता ।
सुख दुःख हारी भाग्य विधाता ।।

तासों विनय करो तोहि पाहीं ।
तोरी कृपा कछु दुर्लभ नाही ।।

रवि तनय मोहे शांति दीजै,
विपदा मोरि सकल हरी लीजै ।
हे ग्रहराज रोग चिंता हर,
छाया पुत्र कृपा होपे पर ।।

तुम बिन मोर न कोहु सहाया,
शनि देव तोरी शरण में आया ।
जय जय जय धुनि होत आकासा,
सुमरथ होय दुसह दुःख नासा ।।

चरण पकड़ तोहि नाथ मनाउ,
छोड़ शरण तोरी अब कित जाउ ।
आप से बिनती करू पुकारी,
हरहु सकल दुःख विपत हमारी ।।

आसो प्रभु प्रभाव तिहारो,
क्षण में कटे दुःख स्वामी मारो ।
जयति जयति जय शिव के प्यारे,
जयति जयति जय छाया दुलारे ।।

जयति जयति जय मंगल दाता,
जयति जयति जय भाग्यविधाता ।
जयति जयति त्रिभुवन विख्याता,
जयति जय पाप पुण्य फल दाता ।।

--SINGER UNKNOWN
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                 (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-ऑल भजन लैरिकस.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-11.03.2023-शनिवार.
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