ऑल इंडिया ब्लॉगर्स असोसिएशन-ख़ुदा नहीं मिलता..

Started by Atul Kaviraje, March 11, 2023, 10:43:51 PM

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Atul Kaviraje

                             "ऑल इंडिया ब्लॉगर्स असोसिएशन"
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मित्रो,

     आज सुनते है, "ऑल इंडिया ब्लॉगर्स असोसिएशन" इस ब्लॉग के अंतर्गत, एक लेख/कविता.

                                     ख़ुदा नहीं मिलता..
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मुकद्दर में जो लिखा था, वो भी नहीं मिलता..
मंदिर में पत्थर हैं बैठा, मस्जिद में ख़ुदा नहीं मिलता...
मुकद्दर में जो लिखा था, वो भी अब नहीं मिलता..

ख़ुशी की तलाश में क्यों गम मिल जाता हैं?
सुना हैं अब दुश्मनों के जिक्र में, दोस्तों का नाम भी आता हैं.
निकलता हूँ मग़रिब को, जब भी घर से.
रास्ते में मुआ, मयखाना मिल जाता हैं.

लगाये तो थे बागीचे में, अबकी बरस कुछ गुलाब 'राहुल'
कांटे ही छिलते हैं, कोई फूल नहीं खिलता.

मुकद्दर में जो लिखा था, वो भी नहीं मिलता..
मंदिर में पत्थर हैं बैठा, मस्जिद में ख़ुदा नहीं मिलता..

हर पल सिलती बैचेनी का ये एहसास क्यों हैं.
समंदर के बाशिंदे को भी, इतनी प्यास क्यों हैं.
बरगद जिन्हें समझा था, बोनसाई निकल जाते हैं.
रिश्तो के भ्रम, अश्क बन बह जाते हैं.
फटेहाल, नंगे पैर ही सही, कुछ साथी हमेशा रहते थे.
बचपन के सुनहरे वो दिन याद आते हैं.

कसबे से दूर कही, तन्हा-गुमनाम बसर हम करते हैं.
सबके अपने मदीने हैं, कोई हमसफ़र नहीं मिलता.

मुकद्दर में जो लिखा था, वो भी नहीं मिलता..
मंदिर में पत्थर हैं बैठा, मस्जिद में अब ख़ुदा नहीं मिलता..

आज इतना ही.
राहुल..

*मग़रिब - शाम की नमाज
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--Rahul Paliwal
(रविवार, 27 नवंबर 2011)
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   (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-allindiabloggersassociation.blogspot.com)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-11.03.2023-शनिवार.
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