लफ़्ज़ों का खेल-ताज महल-जुर्म-ए-उल्फ़त पे हमें

Started by Atul Kaviraje, March 12, 2023, 10:55:18 PM

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Atul Kaviraje

                                    "लफ़्ज़ों का खेल"
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मित्रो,

     आज सुनते है, "लफ़्ज़ों का खेल" इस शीर्षक के अंतर्गत, "लता मंगेशकर" की आवाज मे "ताज महल" फिल्म का गीत.

                                 "जुर्म-ए-उल्फ़त पे हमें"
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जुर्म-ए-उल्फ़त पे हमें लोग सज़ा देते हैं
कैसे नादान हैं, शोलों को हवा देते हैं
कैसे नादान हैं

हम से दीवाने कहीं तर्क-ए-वफ़ा करते हैं
जान जाए कि रहे, बात निभा देते हैं
जान जाए

आप दौलत के तराज़ू में दिलों को तोलें
हम मोहब्बत से मोहब्बत का सिला देते हैं
हम मोहब्बत से

तख़्त क्या चीज़ है और लाल-ओ-जवाहर क्या है
इश्क़ वाले तो ख़ुदाई भी लुटा देते हैं
इश्क़ वाले

हमने दिल दे भी दिया, एहद-ए-वफ़ा ले भी लिया
आप अब शौक़ से दे लें, जो सज़ा देते हैं
जुर्म-ए-उल्फ़त पे हमें लोग सज़ा देते हैं

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जुर्म-ए-उल्फ़त पे हमें -Jurm-e-Ulfat Pe Hamein 
Movie/Album: ताज महल (1963 )
Music By: रोशन
Lyrics By: साहिर लुधियानवी
Performed By: लता मंगेशकर
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                (साभार एवं सौजन्य-हिंदी लैरिकस प्रतीक.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
                        (संदर्भ-Lyrics In Hindi-लफ़्ज़ों का खेल)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-12.03.2023-रविवार.
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