लफ़्ज़ों का खेल-भाभी-चल उड़ जा रे पंछी

Started by Atul Kaviraje, March 13, 2023, 10:57:26 PM

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Atul Kaviraje

                                     "लफ़्ज़ों का खेल"
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मित्रो,

     आज सुनते है, "लफ़्ज़ों का खेल" इस शीर्षक के अंतर्गत, "मो.रफी" की आवाज मे "भाभी" फिल्म का गीत.

                                  "चल उड़ जा रे पंछी"
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चल उड़ जा रे पंछी
कि अब ये देश हुआ बेगाना
चल उड़ जा रे पंछी...

खत्म हुए दिन उस डाली के
जिस पर तेरा बसेरा था
आज यहाँ और कल हो वहाँ
ये जोगी वाला फेरा था
सदा रहा है इस दुनिया में
किसका आबो-दाना
चल उड़ जा रे पंछी...

तूने तिनका-तिनका चुन कर
नगरी एक बसाई
बारिश में तेरी भीगी काया
धूप में गर्मी छाई
ग़म ना कर जो तेरी मेहनत
तेरे काम ना आई
अच्छा है कुछ ले जाने से
देकर ही कुछ जाना
चल उड़ जा रे पंछी...

भूल जा अब वो मस्त हवा
वो उड़ना डाली-डाली
जब आँख की काँटा बन गई
चाल तेरी मतवाली
कौन भला उस बाग को पूछे
हो ना जिसका माली
तेरी क़िस्मत में लिखा है
जीते जी मर जाना
चल उड़ जा रे पंछी...

रोते हैं वो पँख-पखेरू
साथ तेरे जो खेले
जिनके साथ लगाये तूने
अरमानों के मेले
भीगी आँखों से ही उनकी
आज दुआयें ले ले
किसको पता अब इस नगरी में
कब हो तेरा आना
चल उड़ जा रे पंछी...

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चल उड़ जा रे पंछी - Chal Ud Ja Re Panchhi
Movie/Album: भाभी (1957)
Music By: चित्रगुप्त
Lyrics By: राजेन्द्र कृष्ण
Performed By: मो.रफी
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                (साभार एवं सौजन्य-हिंदी लैरिकस प्रतीक.ब्लॉगस्पॉट.कॉम)
                       (संदर्भ-Lyrics In Hindi-लफ़्ज़ों का खेल)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-13.03.2023-सोमवार.
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