जिंदगी !?!

Started by Ashok_rokade24, March 16, 2023, 09:15:25 PM

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Ashok_rokade24

बहोत जिये औरोंके लिये ,
भूले खुशीयाँ भरी जिंदगी ,
अब वक्त अपना आया तो
बोझ लगने लगी जिंदगी ॥

जब तक वो मजबूर थे ,
सहारा देती रही जिंदगी ,
अब कमजोर हम हुये ,
तनहाँईमें है ये जिंदगी ॥

जख्म मिले हजार फिरभी ,
हँसती रही यह जिंदगी ,
जख्मोंको साथ लिये अकेले,
अँधेरेमें रोती है जिंदगी ॥

बहोत कुछ खोयाँ फिरभी ,
चलती रही है ये जिंदगी ,
साथ कितनोंका कैसे छुटा ,
अब ढूँढ रही है जिंदगी ॥

न किसीसे कोई शिकायत ,
बस खामोश है ये जिंदगी ,
जब तक साँस चलती है ,
चलती रहेगी ये जिंदगी ॥

अशोक मु.रोकडे .
मुंबई .