दिन-विशेष-लेख-शहीद दिवस

Started by Atul Kaviraje, March 23, 2023, 09:56:44 PM

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Atul Kaviraje

                                  "दिन-विशेष-लेख"
                                    "शहीद दिवस"
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मित्र/मैत्रिणींनो,

     आज दिनांक-२३.०३.२०२३-गुरुवार आहे, मार्च २३ हा दिवस "शहीद दिवस" म्हणूनही ओळखला जातो. वाचूया, तर या दिवसाचे महत्त्व, आजच्या या "दिन-विशेष-लेख" या शीर्षकI-अंतर्गत. .

     Martyr's Day: जानें 23 मार्च को क्यों मनाया जाता है शहीद दिवस और क्या है इसका महत्व--

     Martyr's Day: लाला लाजपत राय की हत्या के बाद कारण भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, आजाद और कुछ अन्य लोगों ने आजादी के लिए संग्राम का मोर्चा संभाल लिया था।

     23 मार्च को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को अंग्रेजों ने फांसी दे दी थी।

आजादी के नायकों को याद करने के लिए मनाया जाता है शहीद दिवस।
23 मार्च को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी दे दी गई थी।
इस दिन स्कूल कॉलेजों और कार्यालयों में वाद-विवाद जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

     200 सालों की गुलामी के बाद भारत ने 1947 में अंग्रेजों से अपनी स्वतंत्रता प्राप्त की थी। लेकिन यह आजादी इतनी आसान थी? बिल्कुल नहीं। आजादी की कीमत के रूप में भारत को एक नहीं दो नहीं बल्कि लाखों कुर्बानियां देनी पड़ी थी। इन कुर्बानियों और वीरों को श्रद्धांजलि देने के लिए भारत शहीद दिवस (Martyr's Day) मनाता है। हर साल 23 मार्च के दिन लोग वीरता के साथ लड़ने वाले ऐसे युवा सेनानियों की वीर गाथाओं के बारे में बात करते हैं और उनकी वीरता के किस्से सुनाते हैं।

                क्यों मनाया जाता है शहीद दिवस (Martyr's Day) ?--

     23 मार्च को तीन स्वतंत्रता सेनानियों भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर को अंग्रेजों ने फांसी पर चढ़ा दिया था। बेहद कम उम्र में इन वीरों ने लोगों के कल्याण के लिए लड़ाई लड़ी और इसी उद्देश्य के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। कई युवा भारतीयों के लिए भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव प्रेरणा के स्रोत बने हैं। ब्रिटिश शासन के दौरान भी, उनके बलिदान ने कई लोगों को आगे आने और अपनी स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया। यही कारण है कि इन तीनों क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि देने के लिए भारत 23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में मनाता है।

          भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के बलिदान के पीछे की कहानी--

     भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर, 1970 में पंजाब के बंगा गांव में हुआ था। वे स्वतंत्रता सेनानी के परिवार में पले बढ़े और 19 वर्ष की छोटी आयु में उन्हें फांसी दे दी गई। राजगुरु का जन्म 1908 में पुणे में हुआ था। वे हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी में भी शामिल हुए थे। सुखदेव 15 मई 1907 में हुआ था। उन्होंने पंजाब और उत्तर भारत में क्रांतिकारी सभाएं की और लोगों के दिलों में जोश पैदा किया।

     लाला लाजपत राय की हत्या के बाद कारण भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, आजाद और कुछ अन्य लोगों ने आजादी के लिए संग्राम का मोर्चा संभाल लिया था। अंग्रेजी शासन के हुकूमत के खिलाफ आवाज उठाते हुए उन्होंने पब्लिक सेफ्टी और ट्रेड डिस्ट्रीब्यूटर बिल के विरोध में 8 अप्रैल, 1929 को सेंट्रल असेंबली में बम फेंके थे।

     'इंकलाब जिंदाबाद' का नारा लगाते लगाते भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को गिरफ्तार कर लिया गया और उन पर हत्या का आरोप लगाया गया। हत्या के आरोप में 1931 में उन्हें 23 मार्च को लाहौर जेल में फांसी दे दी गई। उनका अंतिम संस्कार सतलुज नदी के तट पर किया गया। अब तक उनके जन्म स्थान में हुसैनीवाला या भारत-पाक सीमा पर शहीदी मेला या शहादत मेला आयोजित किया जाता है।

                      ऐसे मनाया जाता है शहीद दिवस--

     भारतीय विशेष रूप से शहीद दिवस पर भगत सिंह, सुखदेव थापर और शिवराम राजगुरु को याद करने और श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए परेड आयोजित करते हैं और स्वतंत्रता की लड़ाई में जान गंवाने वालों को याद करते हैं। इस दिन स्कूल कॉलेजों और कार्यालयों में वाद-विवाद, भाषण, कविता पाठ और निबंध प्रतियोगिता जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

--नवभारतटाइम्स.कॉम
--नेहा उपाध्याय
(Mar 23, 2022)
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                   (साभार आणि सौजन्य-संदर्भ-महाराष्ट्र टाइम्स.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-23.03.2023-गुरुवार.
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