ती माझ्या कुशीत विसावली होती

Started by prachidesai, October 03, 2010, 03:12:39 PM

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prachidesai

ती  माझ्या  कुशीत  विसावली  होती
अन मी  तिच्या  कुशीत  विसावलो  होतो

train   मधल्या  genaral   डब्ब्यात  बसून  हे  आम्ही ...
एक  मेकांचेच  साथीदार  झालो  होतो

ह्या  वेळी   जरी  ती  असली  थोडी  concious
तरी  ती  बिनधास्त होती
अन  तिने  तसे  असायलाच  हवे
शेवटी  ती   फक्त  माझीच  होती

मी  मात्र  बिनधास t तिच्या  खांद्यावरून  एक  हात  टाकून  दुसरा  हत्त  हट्टात  घेऊन घोरत  पडलो  होतो

पण  माझे  मलाच  माहित  कि  ततो  प्रत्येक  क्षण  मी  मात्र  वर्षे  नु  वर्षे  जगत होतो

आम्ही  जरी  असलो  आज  जगात  असून  ही जगा  वेगळे
नव्हत i आम्हाला  पारव्या  त्या  लोकांची ज्यांना  आमचे  प्रेमच  नकळे

आमच्याच  समोर बसला  होता  एक  तरुण  हट्टात  mobile   वर  चाळे  करत
तरी  सुधा  तो  करीत होता  आमचे  अगदी  बारीक  निरीक्षण

नंतर  मीच  त्याला  स्वताहून  डोळ्याने  राग   दिला  पण  त्याने  फक्त  नुसताच  खट्याळ   हसून  reply   दिला

अन  शेवटी  जाता  जाता  म्हणाला  माझ्या  कानात

मी  कवी  आहे , कविता  करतो , नव्हतोच   तुमच्यावर   जळत ,
कविता  करत  होतो माझी  तुमच्यावर  तुम्हालाच  नकळत....

----वैभव 

rudra


sheetal.pawar29



asel  hi coz aamch premhi asch aahe...

train madhe akmekana nirikshan karat jat...
aapal manus jawal aslyach mani matr sangun jat...