II बाबासाहेब आंबेडकर जयंती II-कविता-3

Started by Atul Kaviraje, April 14, 2023, 10:41:07 PM

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Atul Kaviraje

                            II बाबासाहेब आंबेडकर जयंती II
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मित्रो,

     आज दिनांक-१४.०४.२०२३-शुक्रवार है. आज  "बाबासाहेब आंबेडकर जयंती" है. बाबासाहेब अम्बेडकर के नाम से भी जाना जाता है, का जन्म दिन 14 अप्रैल को पर्व के रूप में भारत समेत पूरे विश्व में मनाया जाता है। इस दिन को 'समानता दिवस' और 'ज्ञान दिवस' के रूप में भी मनाया जाता है, क्योंकि जीवन भर समानता के लिए संघर्ष करने वाले अम्बेडकर को समानता और ज्ञान के प्रतीक माना जाता है। मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन कवी-कवियित्रीयोको बाबासाहेब आंबेडकर जयंती की बहोत सारी शुभकामनाये. आईए, पढते है, कुछ कविताये-रचनाये.

     डॉ भीमराव अंबेडकर पर कविता Poem On Dr Br Ambedkar In Hindi : आज अम्बेडकर जयंती हैं. आज ही के दिन 14 अप्रैल 1891 को महाराष्ट्र के महू में माँ भारती के एक सपूत ने जन्म लिया था, इन्हें हम सम्मान से बाबा साहब, कलम के बादशाह, दलितों के मसीहा, संविधान के शिल्पी आदि उपनामों से पुकारते हैं. पिछड़ी जाति में जन्में डॉ भीमराव अंबेडकर ने अपने जीवन की तमाम चुनौतियों से डटकर मुकाबला किया और उच्च शिक्षा हासिल कर सम्मानित स्थान हासिल कर दलितों के अधिकारों की लड़ाई लड़ी और कामयाबी भी हासिल की.

     सभी साथियों को जय भीम ! बाबा साहब की जयंती के अवसर पर आपका दोस्त कुछ बेहतरीन हिंदी कविताओं का संग्रह आपके लिए लेकर आया हैं. भीमराव जी के जीवन पर आधारित इन कविताओं को बच्चों तक जरुर पहुचाएं. हमारी पीढ़ी सुखी रहे इस लिए पुरखो ने क्या क्या कष्ट सहे, यह सब कुछ बाबा साहब पर लिखी कविताओं में अवश्य देखने को मिलता हैं. चलिए आपकी पसंद की कुछ कविताएँ पढ़ते हैं.

                बाबासाहेब अम्बेडकर पर कविता--

भारत के संविधान की कि थी जिसने रचना
ऐसे वीर की सोच से, हर बुराई को है बचना
अच्छी सोच के आड़े, जो कोई भी आता है
फिर सही पथ पर ही निकल जाता है.

बताया सबने मगर इन्होने दिखाया करके
बढ़ चले वो आगे, फिर सब जातियों को एक करके
ना मोह का बंधन ना थी जिसमें लालच की आग
निडर होकर लिया, जिन्होंने हर परिस्थिति में भाग

जो बरसे अंगारे या बरसी शब्दों की मार
चुप न बैठे वो कभी मान कर अपनी हार
ऐसे वीर युगों युगों में एक ही आते
प्रदर्शन कर अपने गुणों का वो अनोखा इतिहास रचाते है

मेरी तुम्हारी कुछ नहीं, उन्होंने समझा हमारा
कुछ ना लिया तुमसे फिर भी कर दिया सब कुछ तुम्हारा
जाति धर्म की लड़ाई में बट गया था ये भारत देश हमारा
अपने जीवन की ऊर्जा से उन्होंने फिर सबका जीवन था संवारा

सहते वो कब तक सबकी
जो लगी हवाओं में भेदभाव की झपकी
ओढ़ी उन्होंने फिर बौद्ध धर्म की चादर
सिखाया इस दुनिया को फिर प्यार से आदर

भेद भाव कर आपस में बड़ा तो
कोई कुछ हासिल नहीं कर पाता हैं.
नफरत की आग की ज्वाला
सच्चे धर्म के बीज को जलाता हैं.

– मेहरोत्रा गुप्ता
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                         (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-ही हिंदी.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-14.04.2023-शुक्रवार.
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