एक संग तुझ्या शिवाय मी जगू कसा

Started by nothing.9@live.com, October 05, 2010, 03:55:03 PM

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nothing.9@live.com

तू  गेल्यावर  कसे  सांगू  काई  होते
वेडे  मन  सदा  तुझीच  वाट  पाहते
झोप  येत  नाही  तुझा  विसर पडत  नाही
एक  सांग तुझ्या  शिवाय  मी  जगू  कसा

हा  काळ  जसा  थांबल्यासारखा  वाटतो
प्रत्येक   क्षण  वर्षांसारखा  वाटतो
तुझा  चेहरा  या  डोळ्यांसमोर  जात  नाही
एक  संग  तुझ्या  शिवाय  मी  जगू  कसा

जुने  दिवस  आठवतात  जेव्हा  एकता  असतो
ते  आठवताना  लपवून  रात्रीचा  रडतो
रात्र  संपते  पण  अश्रू  काही  थांबत  नाहीत
एक  संग  तुझ्या  शिवाय  मी  जगू  कसा

येणार  नाही  तुझा  काल  तरीही  वाट  बघतो
Mobile वाजला  कि  नाव  तुझे  आहे  का  पाहतो
काहीच  नाही  साधा  तुझा  missed  काल  हि  येत  नाही
एक  संग  तुझ्या  शिवाय  मी  जगू  कसा

अबोल्यात  अडकलेले  माझे  शब्द  असतात
अंधारा  पेक्षा  हि  गदाध  माझ्या  रात्री  असतात
मला  यातून  बाहेर  पडण्याची  वाट  दिसत  नाही
एक  संग  तुझ्या  शिवाय मी  जगू  कसा

एक  ती वेळ  होती  जेव्हा  आपण  एकत्र  होतो
दूर  असून  हि  एक  मेकन  पासून  दूर  नव्हतो
पण  आता  फक्त  अंतर  तू  माझ्या  जवळ  नाही
एक  संग  तुझ्या  शिवाय  मी  जगू  कसा 

माझ्याच हृदयातून लिहिलेली कविता आहे ....................
माझा हरवलेलं आणि हरलेल प्रेम.............



MK ADMIN


premkavita

hi kavita khupach sundar ahen. mi kahi asach ek virah yatnetun jata he karan mala asach jalay ti pan ashich same here
frnd .... premat padto tevha khup tras hoto pan jevha tichya passon dur astat tevha ase vatate tki khute tari harvilo ahe.
can i use this .. kavita if yes so thx


sheetal.pawar29

radu aal....aamchya bhavna koni tari sangavyat mhanun tumchi bhet hote...asch sundar lihit raha...uttam...