बुद्ध पूर्णिमा-सुनो बुद्ध-कविता-4

Started by Atul Kaviraje, May 05, 2023, 10:45:28 AM

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Atul Kaviraje

                                      "बुद्ध पूर्णिमा"
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मित्रो,

     आज दिनांक-०५.०५.२०२३-शुक्रवार है. आज "बुद्ध पौर्णिमा" है. हिंदू धर्म में हर माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पर महीने का आखिरी दिन होता है. अभी वैशाख महीना चल रहा है. 5 मई 2023 को वैशाख पूर्णिमा है, इस दिन बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान गौतम बुद्ध का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है. इसे बुद्ध पूर्णिमा और बुद्ध जयंती भी कहते है. मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन, कवी-कवियित्रीयोको  बुद्ध पूर्णिमा की अनेक हार्दिक शुभकामनाये. आईए, पढते है भगवान बुद्ध की कुछ कविताये-रचनाये.

सुनो बुद्ध –
हो चुके होंगे तुम मुक्त
अभी मनुष्यों ने नहीं दिया है निर्वाण तुम्हें
आये दिन तुम खड़े होते हो मुजरिम बनकर
किसी न किसी गृहस्थ प्रबुद्ध के कटघरे में।
कसूर वही चिरंतन स्त्री पलायन।
पर तुम समझते हो
सिद्धार्थ भी तो अटका था दो ही चीजों में
धन और काम
इन ही दो पाटों के बीच पिस जाते हैं
सभी सांसारिक बोधिसत्व।
पर तुम कह तो सकते हो
वो तुम नहीं सिद्धार्थ था
चलो मैं कह देता हूँ।
सुनो गृहस्थ प्रबुद्धों –
कोई बुद्ध नहीं करता पलायन
सिद्धार्थ ही करते हैं।
बुद्ध पकड़ते ही नहीं
तो त्यागने का प्रश्न नहीं
सिद्धार्थ को लगता है
कि उसने पकड़ा है
सो वो ही त्यागता है
फिर सभी कुछ तो त्यागता है वो भी
तुम ही क्यूँ अटक जाते हो स्त्री पर?
फिर ये भी तो बताओ
कि लौट आये थे बुद्ध!
हर सिद्धार्थ का बुद्ध जब जन्मता है
तो स्वीकारता है वो सब
जो भूल गया था सिद्धार्थ
नि:शब्द खड़े सुनते भी तो हैं
यशोधरा के व्यथित ह्रदय को
क्या सिद्धार्थ सुन पाता?
बुद्ध के शून्य में ही समा पाता है
हर यशोधरा का प्रेम; जानती है
सिद्धार्थ में कुछ तो भोग था ही
अब यशोधरा भी समर्पित है भिक्षुणी होकर।
बस मानवों तुम्हारा ही शूल नही निकलता
पूछो अपने अंदर के सिद्धार्थ से
कितना बुद्ध पनपा है अभी
उत्तर में पाओगे स्वयं को नतमस्तक
बुद्ध के बुद्धत्व के सम्मुख
और वो शांत होंगे सदा की भाँति
इक मद्धिम मुस्कान लिए।

                         (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-हिंदी गाईड्स.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-05.05.2023-शुक्रवार.
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