दास्तान

Started by शिवाजी सांगळे, May 23, 2023, 05:27:59 PM

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शिवाजी सांगळे

दास्तान

बैचेन दिन रात जाने कैसे बीतेंगे लम्हात
कमरा बंद अंधेरा बाहर मुश्किल हालात

बताना चाहूं हालत इस दिलकी जमाना
बंजर विराने में सुनेगा कौन मेरे जज्बात

हुई थी मुहब्बत मुझेभी एकबार किसीसे
और, सजा मिली मुझे ही जाने कायनात

जानेना कोई हालत अकेले इस दिल की
नहीं पता होगी कब एक उनसे मुलाकात

जमानेसे चल रहा दौर खिलाफ इश्क़ के
क्यों नहीं करता रहम यहां कोई इनायात

©शिवाजी सांगळे 🦋papillon
 संपर्क: +९१ ९५४५९७६५८९
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