कश्मकश

Started by mkapale, June 13, 2023, 04:41:31 PM

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mkapale

सपने देखे थे जहा वह गलिया...वही है
आगे जाते जाते कुछ शहर पीछे छूट गए

पेहेले दस साल तो बस देखा क्या हो रहा है
अगले दस सालोमे हवाओंके मेहेल बन गए

जमाने ने दिखाया के मेहेल तो ईटोंके होते है
अगले बीस साल ईटें जुटानेमे चले गए

चालीस साल में परिवार बना खुशहाल सा
बचपन के खजाने थे जो दोस्त..यादोंमें बस गए

उसी शहर में जाता हूँ और साँस भर लेता हूँ
बचपन की खुशबू के अब मायने बदल गए

आज इस कश्मकश में हूँ, क्या खोया क्या पाया
चलना सीख़ा जहा, क्या वह रास्ते पराये हो गए