मोहरम-लेख-3-A

Started by Atul Kaviraje, July 29, 2023, 06:05:12 PM

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Atul Kaviraje

                                       "मोहरम"
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मित्रो,

     आज दिनांक-२९.०७.२०२३-शनिवार है. आज "मोहरम" है. ताज़िया : बाँस की कमाचिय़ों पर रंग-बिरंगे कागज, पन्नी आदि चिपका कर बनाया हुआ मकबरे के आकार का वह मंडप जो मुहर्रम के दिनों में मुसलमान सुनी लोग हजरत-इमाम-हुसेन की कब्र के प्रतीक रूप में बनाते है और दसवें दिन जलूस के साथ ले जाकर इसे दफन किया जाता है। मराठी कविताके मेरे सभी मुस्लिम भाई बहनोको मै यह दिन समर्पित करता हू. आईए, पढते है मुहर्रम पर महत्त्वपूर्ण लेख.

             मुहर्रम कैसे मनाया जाता है--

     मुहर्रम पैगम्बर मुहम्मद साहब (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के नवासे इमाम हुसैन (रजीO) के शहादत के गम में मनाया जाता है। मुहर्रम के महीने में इस्लाम के मानने वाले मुहर्रम के दिन का रोजा रखते है।

     जिस तरह से इमाम हुसैन को भूखे प्यासे रखा गया उसी तरह से इस्लाम के मानने वाले मुहर्रम के दिन भूखे प्यासे रहकर रोजा रखते है और फिर उनकी याद में ताजिया निकालते है इमाम हुसैन (रजीO) पर, यजीद नाम के बादशाह ने कर्बला के मैदान में पानी पर रोक लगा रखी थी

ऐसे में कर्बला के मैदान में इमाम हुसैन (रजीO) एंव
साथियों को एक बूंद पानी तक नहीं मिला और बिना पानी के ही शहादत का जाम पी गए।
इसलिए मुस्लिम समुदाय के लोग इस दिन अपने घर के आसपास
जगह जगह पानी के प्याऊ और शरबत की गगरी इत्यादि रखते है।
जिसे कोई भी राहगीर प्यास लगने पर पी सकता है।
इसके साथ ही मुहर्रम के दिन ताजिया निकलना, लकड़ी खेला करना,
याद में खुद पर चोट करना इत्यादि काम अलग अलग मुस्लिम समुदाय के लोग करते है
इस तरह से मुहर्रम मनाया जाता है

              इमाम हुसैन कर्बला स्टोरी--

     कर्बला का वाक्या/स्टोरी कर्बला के मैदान से शुरू होता है। जो आज के ईराक देश में स्थित है कर्बला का बादशाह यजीद था। वह सत्ता के नशे में खुदाई का दावा कर बैठा था उसकी इच्छा थी मुहम्मद साहब (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के नवासे इमाम हुसैन भी उसे खलीफा माने, जिससे उसका वर्चस्व पुरे अरब में फ़ैलना शुरू हो जाए, लेकिन उसके सामने मुहम्मद साहब (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के एकलौते चिराग इमाम हुसैन (रजीO), यजीद बादशाह के सामने किसी भी हालत में झुकने को तैयार नहीं थे। इसके कारण यजीद के जुल्म एंव अत्याचार बढ़ते जा रहे थे।

             कर्बला का वाकया इमाम हुसैन--

     KARBALA KA WAQIA IN HINDI: जब यजीद बादशाह के जुल्म अत्याचार बढ़ने लगे तो हजरत इमाम हुसैन (रजीO) अपने पुरे परिवार के साथ मदीना शहर से ईराक शहर के कुफा जाने लगे। तो रास्ते में ही यजीद की फ़ौज, कर्बला स्थान पर इमाम हुसैन (रजीO) के परिवार और काफिले को रोक दिया।

जिस दिन रोका गया उस दिन मुहर्रम महीने का दूसरा दिन था।
कर्बला स्थान पर पानी का एक मात्र स्रोत एक नदी थी।
इस नदी पर भी यजीद ने अपनी फ़ौज लगा दी और अपने फ़ौज को हुक्म दिया था।
इमाम हुसैन (रजीO) और उनके साथी जिसमे बच्चे, बूढ़े, बहन, माँ इत्यादि शामिल थे।
किसी को भी पानी का एक कतरा बूंद भी न मिल पाए।
भूखे प्यासे इमाम हुसैन (रजीO) एंव उनके साथी कर्बला के मैदान में थे।
यजीद के सामने फिर भी नहीं झुके लेकिन
यजीदी फ़ौज, इमाम हुसैन (रजीO) को कई बार यजीद को
ईराक का बादशाह (जो खुदा होने का दावा करता था) मानने को कहा
लेकिन इमाम हुसैन (रजीO) इस बात से राजी न हुए।

             कर्बला का वाकया इमाम हुसैन--

     जब इमाम हुसैन (रजीO) ने यजीद को बादशाह मानने से इनकार कर दिया तो यजीद की फ़ौज ने कर्बला के मैदान में ही जंग का ऐलान कर दिया इमाम हुसैन (रजीO) जंग नहीं चाहते थे लेकिन कोई रास्ता न बचने के कारण जंग करनी पड़ी। जब जंग का ऐलान हुआ उस समय इमाम हुसैन (रजीO) के साथी में 72 सिपाही (बच्चे, बूढ़े, माँ, बहन, भाई) शामिल थे सभी शामिल सिपाही भूखे और प्यासे भी थे.

--By Gorakhpur Hindi
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                       (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-गोरखपूर हिंदी.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-29.07.2023-शनिवार.
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