मोहरम-शायरी-2

Started by Atul Kaviraje, July 29, 2023, 06:14:08 PM

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Atul Kaviraje

                                       "मोहरम"
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मित्रो,

     आज दिनांक-२९.०७.२०२३-शनिवार है. आज "मोहरम" है. ताज़िया : बाँस की कमाचिय़ों पर रंग-बिरंगे कागज, पन्नी आदि चिपका कर बनाया हुआ मकबरे के आकार का वह मंडप जो मुहर्रम के दिनों में मुसलमान सुनी लोग हजरत-इमाम-हुसेन की कब्र के प्रतीक रूप में बनाते है और दसवें दिन जलूस के साथ ले जाकर इसे दफन किया जाता है। मराठी कविताके मेरे सभी मुस्लिम भाई बहनोको मै यह दिन समर्पित करता हू. आईए, पढते है मुहर्रम पर शायरी.

     मुहर्रम का त्योहार इस्लामिक धर्म में सेलिब्रेट किया जाता है। यह दिन शहीदों की याद में मनाया आता है। कुछ इस्लामिक किवदंतियों के अनुसार मुहर्रम इस्लामिक कैलेंडर का पहला महिना है। इस्लामिक मान्यतों के अनुसार मुहर्रम मनाने का कारण यह हैं कि इस दिन हजरत रसूल के नवासे हजरत इमाम हुसैन अपने परिवार और 72 साथियों के साथ शहीद हो गए थे। इमाम हुसैन ने अपनी शहीदी कर्बला के मैदान में दिया था। मोहर्रम ज़िंदादिली और शहीदी के मायने समझाता है। इस पर्व में मुहर्रम महीने के 10 वें दिन को 'आशुरा' कहा जाता है। कई लोग मुहर्रम को अल्लाह का महीना भी मानते हैं। इस खास मौके पर आप भी इमाम हुसैन कि शहादत को याद करें और अपने जानने वालों के साथ मोहर्रम शायरी (Muharram Shayari in Hindi), इमाम हुसैन शायरी (Imam Hussain Shayari in Hindi) और कर्बला की शायरी हिंदी में (Karbala Shayari in Hindi) और मुहर्रम कोट्स और स्टेटस शेयर करें।

      इमाम हुसैन अल्लाह के रसूल यानी मैसेंजर और पैगंबर मोहम्मद के नाती माने जाते थे। ज्यादातर शिया मुस्लिम समाज के लोग इस दिन इमाम कि शहादत का शोक मनाते हैं। इस मौके पर आप भी अपने सभीओ जानने वालों नाते रिश्तेदारों से सहादत का दिन और मोहर्रम शायरी (Muharram Shayari in Hindi) शेयर करें।

              मुहर्रम शायरी –

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1. कर्बला की शहादत इस्लाम बना गयी, खून तो बहा था
लेकिन कुर्बानी हौसलों की उड़ान दिखा गयी।

2. कर्बला की कहानी में कत्लेआम था लेकिन हौसलों के आगे हर कोई गुलाम था,
खुदा के बन्दे ने शहीद की कुर्बानी दी इसलिए उसका नाम पैगाम बना।

3. क्या जलवा कर्बला में दिखाया हुसैन ने, सजदे में जा कर सर कटाया हुसैन ने,
नेजे पे सिर था और जुबां पर अय्यातें, कुरान इस तरह सुनाया हुसैन ने।

4. गुरूर टूट गया कोई मर्तबा ना मिला, सितम के बाद भी कुछ हासिल जफा ना मिला,
सिर-ऐ-हुसैन मिला है यजीद को लेकिन शिकस्त यह है की फिर भी झुका हुआ ना मिला।

5. जन्नत की आरजू में कहा जा रहे है लोग, जन्नत तो कर्बला में खरीदी हुसैन ने,
दुनिया-ओ-आखरत में रहना हो चैन सूकून से तो जीना अली से सीखे और मरना हुसैन से।

6. करीब अल्लाह के आओ तो कोई बात बने, ईमान फिर से जगाओ तो कोई बात बने,
लहू जो बह गया कर्बला में, उनके मकसद को समझा तो कोई बात बने।

7. सिर गैर के आगे न झुकाने वाला और नेजे पर भी कुरान सुनाने वाला, इस्लाम से क्या पूछते हो कौन है हुसैन,
हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला।
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--POOJA MISHRA
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                       (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-हिंदी.popxo.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-29.07.2023-शनिवार.
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