मोहरम-शायरी-11

Started by Atul Kaviraje, July 29, 2023, 06:42:19 PM

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Atul Kaviraje

                                        "मोहरम"
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मित्रो,

     आज दिनांक-२९.०७.२०२३-शनिवार है. आज "मोहरम" है. ताज़िया : बाँस की कमाचिय़ों पर रंग-बिरंगे कागज, पन्नी आदि चिपका कर बनाया हुआ मकबरे के आकार का वह मंडप जो मुहर्रम के दिनों में मुसलमान सुनी लोग हजरत-इमाम-हुसेन की कब्र के प्रतीक रूप में बनाते है और दसवें दिन जलूस के साथ ले जाकर इसे दफन किया जाता है। मराठी कविताके मेरे सभी मुस्लिम भाई बहनोको मै यह दिन समर्पित करता हू. आईए, पढते है मुहर्रम पर शायरी.

मुहर्रम महीने के 10वें दिन को 'आशुरा' कहते है. जिस दिन इमाम हुसैन ने अपनी शहादत दी थी. मुहर्रम इस्लामी वर्ष यानी हिजरी सन्‌ का पहला महीना है. अल्लाह के रसूल हजरत ने इस मास को अल्लाह का महीना कहा है. इस आर्टिकल में 40+ मुहर्रम शायरी दिए हुए हैं. Muharram Shayari in Hindi 2023.

           मुहर्रम पर शायरी | Muharram Shayari 2023--

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सजदे में सर, गले पे खंजर और तीन दिन की प्यास
ऐसी नमाज़ फिर ना हुई....... कर्बला के बाद

करीब अल्लाह के आओ तो कोई बात बने,
ईमान फिर से जगाओ तो कोई बात बने,
लहू जो बह गया कर्बला में,
उनके मकसद को समझा तो कोई बात बने।

सिर गैर के आगे न झुकाने वाला
और नेजे पर भी कुरान सुनाने वाला,
इस्लाम से क्या पूछते हो कौन है हुसैन,
हुसैन है इस्लाम को इस्लाम बनाने वाला।

हुसैन तेरी अता का चश्मा दिलों के दामन भिगो रहा है,
ये आसमान में उदास बादल तेरी मोहब्बत में रो रहा है,
सबा भी जो गुजरे कर्बला से तो उसे कहता है अर्थ वाला,
तू धीरे गूजर यहाँ मेरा हुसैन सो रहा है।

सुनो मेरी क़ौम के नौनिहालों,
सफ़र की आज़माइशों से थक कर ना कहीं सो जाना
भूख और प्यास की शिद्दत में भी नेज़ों का बिस्तर,
इतना आसान नहीं है हुसैन हो जाना

एक तरफ दरिया, एक तरफ प्यास थी
खुदा जाने अश्क़ को क्या आस थी
यज़ीद को दौलत पे बड़ा ग़रूर था
यहां हमारे हुसैन के चेहरे पे नूर था
पानी बन्द करके वो इतरा रहा था
यहां हमारे ईमान का परचम लहरा रहा था
कौन जाने क्या होगा, यज़ीद के मरने के बाद
इस्लाम होता है ज़िंदा हर कर्बला के बाद




شہادت سب کے حصے میں کہاں آتی ہے دنیا میں
میں تجھ پہ رشک کرتا ہوں، ترا ماتم نہیں کرتا!

शहादत सब के हिस्से में कहाँ आती है दुनिया में
मैं तुझ पे रशक करता हूँ तिरा मातम नहीं करता!


شہسوارِ کربلا کی شہسواری کو سلام
نیزے پر قران پڑھنے والے قاری کو سلام

شعیہ کیا ہیں سنی کیا ہیں... میں یہ سب تو نہیں جانتا
پر جس میں غم حسین نہیں میں اسے دل تو نہیں مانتا
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                        (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-दुनिया है गोल.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-29.07.2023-शनिवार.
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