मोहरम-शायरी-13

Started by Atul Kaviraje, July 29, 2023, 06:45:25 PM

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Atul Kaviraje


                                         "मोहरम"
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मित्रो,

     आज दिनांक-२९.०७.२०२३-शनिवार है. आज "मोहरम" है. ताज़िया : बाँस की कमाचिय़ों पर रंग-बिरंगे कागज, पन्नी आदि चिपका कर बनाया हुआ मकबरे के आकार का वह मंडप जो मुहर्रम के दिनों में मुसलमान सुनी लोग हजरत-इमाम-हुसेन की कब्र के प्रतीक रूप में बनाते है और दसवें दिन जलूस के साथ ले जाकर इसे दफन किया जाता है। मराठी कविताके मेरे सभी मुस्लिम भाई बहनोको मै यह दिन समर्पित करता हू. आईए, पढते है मुहर्रम पर शायरी.

          मुहर्रम पर शायरी | Muharram Shayari 2023--

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न से चराग-ए-दीन जलाया हुसैन ने,
रस्म-ए-वफ़ा को खूब निभाया हुसैन ने,
खुद को तो एक बूँद न मिल सका लेकिन
करबला को खून पिलाया हुसैन ने।

मुहर्रम पर दिल को छु लेने वाली शायरी
ऐसी नमाज़ कौन पढ़ेगा जहां में,
सजदा किया तो सर ना उठाया हुसैन ने,
सब कुछ खुदा की राह में कुर्बान कर दिया,
असग़र सा फूल भी ना बचाया हुसैन ने।

इमाम का हौसला इस्लाम जगा गया,
अल्लाह के लिए उसका फर्ज आवाम को धर्म सिखा गया।

कर्बला की उस जमी पर खून बहा
कत्लेआम का मंजर सजा
दर्द और दुखो से भरा था जहा
लेकिन फौलादी हौसले को शहीद का नाम मिला

इस्लाम के चिराग में खून-ऐ-हुसैन है,
ता हश्र ये चिराग रहेगा जला हुआ...

Kitne Khushnaseeb honge vo
72 Sipahi jinhone Maidan e karbala
me mere Hussain ke sath
Shaheedi paayi Hogi...

Aya wo mere dil me phir
ek naye gham ki tarah,
is baar bhi eid guzri
meri muharram ki tarah.

आया वो मेरे दिल में फिर
एक नए ग़म की तरह,
इस बार भी ईद गुज़री
मेरी मुहर्रम की तरह.
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                       (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-दुनिया है गोल.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-29.07.2023-शनिवार.
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