स्वतंत्रता दिवस-निबंध-3

Started by Atul Kaviraje, August 15, 2023, 01:58:49 PM

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Atul Kaviraje

                                    "स्वतंत्रता दिवस"
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मित्रो,

     आज दिनांक १५.०८.२०२३-मंगलवार है. आज भारत का "स्वतंत्रता दिवस" है. सन् 1947 में इसी दिन भारत के निवासियों ने ब्रिटिश शासन से स्‍वतंत्रता प्राप्त की थी। यह भारत का राष्ट्रीय त्यौहार है। लाल किले पर फहराता तिरंगा; स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर फहरते झंडे अनेक इमारतों व स्थानों पर देखे जा सकते हैं। प्रतिवर्ष इस दिन भारत के प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से देश को सम्बोधित करते हैं। यह आज़ादी हमें 200 सालों की यातना, उत्पीड़न, युद्ध और बलिदान के बाद 15 अगस्त, 1947 को मिली. ब्रिटिश कोलोनियल शासन से कड़ी मेहनत से हासिल की गई यह आजादी लोकतंत्र का जश्न है. यह भारत के इतिहास में एक नये युग की शुरुआत का प्रतीक है। दशकों के अथक संघर्ष और बलिदान से सजी स्वतंत्रता की यात्रा कठिन थी। मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन कवी-कवयित्रीयोको इस दिन कि बहोत सारी हार्दिक शुभकामनाये. आइये पढते है एक महत्त्वपूर्ण निबंध.

                    हिंदी स्वतंत्रता दिवस निबंध--

            तिरंगा सिर्फ आन या शान नहीं है हम भारतीयों की जान है।

     स्वतंत्रता दिवस का प्रत्येक भारतीय के दिल में एक महत्वपूर्ण स्थान है क्यूंकि यह हिन्दुस्तानियों की एकता और अटूट भाईचारे की विजय के साथ चिह्नित है। यह आज़ादी हमें 200 सालों की यातना, उत्पीड़न, युद्ध और बलिदान के बाद  15 अगस्त, 1947 को मिली. ब्रिटिश कोलोनियल शासन से कड़ी मेहनत से हासिल की गई यह आजादी लोकतंत्र का जश्न है. यह भारत के इतिहास में एक नये युग की शुरुआत का प्रतीक है।

     दशकों के अथक संघर्ष और बलिदान से सजी स्वतंत्रता की यात्रा कठिन थी। महात्मा गांधी, रानी लक्ष्मी बाई, जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह और सरोजिनी नायडू जैसे असंख्य नेताओं और सेनानियों की मेहनत और बलिदान को किसी प्रकाश की आवश्यकता नहीं है. देश को इन्हीं वीरों के बलिदान के कारण आजादी मिली, जिन्होंने भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए अपना आज कुर्बान कर दिया.

     स्वतंत्रता दिवस समारोह की शुरुआत हमारे प्रधान मंत्री द्वारा नई दिल्ली के लाल किले पर राष्ट्रगान और इक्कीस तोपों की सलामी के साथ भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराने से होती है। इस भव्य समारोह में कई सरकारी अधिकारी, विदेशी गणमान्य, स्कूली छात्र और कई अन्य नागरिक शामिल होते हैं.

     ध्वजारोहण के बाद, माननीय प्रधान मंत्री राष्ट्र को संबोधित करते हैं और पिछले वर्ष में राष्ट्र की उपलब्धियों को दर्शाते हुए और आने वाले वर्षों के लिए राष्ट्र के दृष्टिकोण को सामने रखते हुए भाषण देते हैं. विभिन्न जीवंत सांस्कृतिक कार्यक्रम, नृत्य, डायन इत्यादि भारत की विविध विरासत और एकता को प्रदर्शित करते हैं. स्वतंत्रता की हवा में हमारा राष्ट्रीय ध्वज गर्व से ऊँचा लहराता है.

     स्वतंत्रता दिवस का जश्न पूरे देश में जोरों शोरों से मनाया जाता है। राजधानी दिल्ली से लेकर और सभी राज्य की राजधानियों और छोटे से छोटे गांव तथा कस्बों में सभी उत्साह से स्वतंत्रता का जश्न मनाते हैं. भारत के कोने-कोने में तिरंगा लहराता है. स्वतंत्रता दिवस समारोह देश के प्रति देशवासियों का प्रेम और देश के बेहतर भविष्य के प्रति प्रतिबद्धता के साथ आयोजित किए जाते हैं। सरकारी कार्यालयों, स्कूलों और कॉलेजों में तिरंगा फहराया जाता है। बच्चे हाथों में भारतीय झंडे लेकर शान से घूमते नजर आते हैं. यह उन बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान की याद दिलाता है जिन्होंने देश की आजादी के लिए अताह संघर्ष किया। यह भारतीयों में गर्व और देशभक्ति की गहरी भावना पैदा करता है, उनसे अपनी कड़ी मेहनत से अर्जित स्वतंत्रता की रक्षा करने और उसे संजोने और देश की प्रगति में योगदान देने का आग्रह करता है।

     यह महज़ एक बधाइयों और खुशियों का दिन नहीं है. स्वतंत्रता दिवस समारोह का सार केवल उल्लासपूर्ण समारोहों से परे है। स्वतंत्रता दिवस बच्चे, युवाओं और बुजुर्गों को उन चुनौतियों की याद दिलाता देता है है जिनका मुकाबला हमारे पूर्वजों ने किया था और उन चुनौतियों की दस्तक के बारे में आगाह करता है जो हमारे सामने हैं।

     स्वतंत्रता दिवस केवल स्मरणोत्सव और उत्सव का दिन नहीं है, बल्कि स्वराज और राष्ट्र-निर्माण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का नवीनीकरण है। यह भारतीयों को एकता, समानता और सांप्रदायिक सद्भाव की भावना को कभी न खोने देने के लिए प्रेरित करता है।

     लता मंगेशकर का लोकप्रिय व सदाबहार गीत के बोल "ए मेरे वतन के लोगों, ज़रा आँखों में भर लो पानी, जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी" हमारे स्वतंत्रता के सच्चे सार बयान करता है.

     यह दिन है अभिमान का, है भारत माता के मान का ! नहीं जाएगा रक्त व्यर्थ, वीरों के बलिदान का !!

--प्रज्ञा सागर
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                         (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-जाग्रणजोश.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-15.08.2023-मंगळवार.   
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