स्वतंत्रता दिवस-कविता-19

Started by Atul Kaviraje, August 15, 2023, 02:52:43 PM

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Atul Kaviraje

                                   "स्वतंत्रता दिवस"
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मित्रो,

     आज दिनांक १५.०८.२०२३-मंगलवार है. आज भारत का "स्वतंत्रता दिवस" है. सन् 1947 में इसी दिन भारत के निवासियों ने ब्रिटिश शासन से स्‍वतंत्रता प्राप्त की थी। यह भारत का राष्ट्रीय त्यौहार है। लाल किले पर फहराता तिरंगा; स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर फहरते झंडे अनेक इमारतों व स्थानों पर देखे जा सकते हैं। प्रतिवर्ष इस दिन भारत के प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से देश को सम्बोधित करते हैं। यह आज़ादी हमें 200 सालों की यातना, उत्पीड़न, युद्ध और बलिदान के बाद 15 अगस्त, 1947 को मिली. ब्रिटिश कोलोनियल शासन से कड़ी मेहनत से हासिल की गई यह आजादी लोकतंत्र का जश्न है. यह भारत के इतिहास में एक नये युग की शुरुआत का प्रतीक है। दशकों के अथक संघर्ष और बलिदान से सजी स्वतंत्रता की यात्रा कठिन थी। मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन कवी-कवयित्रीयोको इस दिन कि बहोत सारी हार्दिक शुभकामनाये. आइये पढते है कुछ कविताये, रचनाये.

     भारतीय स्वतंत्रता दिवस पर कविता 15 अगस्त 2023 Independence Day Poem In Hindi:- हमारा देश लम्बे समय तक ब्रिटिश सरकार का अधीन रहने के पश्चात् 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ. इस दिन हम स्वतंत्रता दिवस मनाते है. आज के आर्टिकल में स्वतंत्रता दिवस पर छोटी-बड़ी कविताए दी गई है.

     स्वतंत्रता दिवस पर कविता 15 अगस्त 2023 Independence Day Poem--

एक बड़ी ही मधुर कहानी आज सुनाना चाहती हूँ
भारत माँ के अनुपम प्रेम की गाथा गाना सुनाना चाहती हूँ
एक बड़ी ही सुंदर देवी चिड़ियाँ सोने की कहलाती थी
समस्त जगत की सारी खुशियाँ जहाँ सहज ही मिल जाती थी
प्रेम करुणा विनय सरलता जो बच्चों को अपने सिखलाती थी
वसुधैव कुटुम्बकम् और अतिथि देवो भवः यह गीत सदा वो गाती थी

बच्चे निर्मल कोमल सच्चे मन के भोले थे
माता की वो करते सेवा मिलजुलकर रहते थे
संस्कारों से प्रेरित होकर बच्चों ने जब अतिथि का सम्मान किया
निर्दयी निर्लज्ज अतिथि फिरंगियों ने तब आतिथ्य का अपमान किया
निर्दयता से करते थे शासन बच्चों को वो मार पीट कर
तडप रही थी माँ भारती बच्चों की यह हालत देखकर
आये तब माँ के वीर सपूत सुनकर माँ की करूण पुकार

मार भगाया दुष्टों को आया माँ को तब करार
लौट आई फिर माँ की प्यारी सी कोमल मुस्कान
गूंज उठी फिर अम्बर तल पर जय भारत की मीठी गान
ख़ुशी ख़ुशी दिन बीत रहे थे चारो तरफ छाई थी खुशहाली
चारो तरफ बिखर रही थी, भारत माँ की करुण लाली
फिर अचानक हुआ यूं खो गये कही माँ के सपूत

आपस में ही लड़ते है वो मन में बैर रखते है वो
सरिफियत का ओढ़ के चोला अपनों को ही डसते है वो
माँ की चिंता कहा किसी को बस अपनी ही चिंता करते है वो

जाने कैसे रहती है वो घुट घुट कर ही जीती है वो
सह रही थी जुलुम फिरंगियों के क्योंकि बेटा साथ था
अब कैसे वो सहे बताओं अबकी बार तो बेटों का ही हाथ था
ना जाने कैसे अब कौन सुनेगा भारत माँ की करुण पुकार
ना जाने अब कौन आएगा बनकर माँ का सच्चा लाल

--Monika Rangire
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                       (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-एस्से ऑन हिंदी.इन)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-15.08.2023-मंगळवार.   
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