स्वतंत्रता दिवस-कविता-49

Started by Atul Kaviraje, August 15, 2023, 05:13:47 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje


                                   "स्वतंत्रता दिवस"
                                  ----------------

मित्रो,

     आज दिनांक १५.०८.२०२३-मंगलवार है. आज भारत का "स्वतंत्रता दिवस" है. सन् 1947 में इसी दिन भारत के निवासियों ने ब्रिटिश शासन से स्‍वतंत्रता प्राप्त की थी। यह भारत का राष्ट्रीय त्यौहार है। लाल किले पर फहराता तिरंगा; स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर फहरते झंडे अनेक इमारतों व स्थानों पर देखे जा सकते हैं। प्रतिवर्ष इस दिन भारत के प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से देश को सम्बोधित करते हैं। यह आज़ादी हमें 200 सालों की यातना, उत्पीड़न, युद्ध और बलिदान के बाद 15 अगस्त, 1947 को मिली. ब्रिटिश कोलोनियल शासन से कड़ी मेहनत से हासिल की गई यह आजादी लोकतंत्र का जश्न है. यह भारत के इतिहास में एक नये युग की शुरुआत का प्रतीक है। दशकों के अथक संघर्ष और बलिदान से सजी स्वतंत्रता की यात्रा कठिन थी। मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन कवी-कवयित्रीयोको इस दिन कि बहोत सारी हार्दिक शुभकामनाये. आइये पढते है कुछ कविताये, रचनाये.

     देश के प्रसिद्ध कवियों देश प्रेम की भावना को हर भारतवासी के दिल में जिंदा रखने में देश के कवियों और उनकी कविताओं की भूमिका अहम रही है। देश प्रेमी और हिंदी प्रेमी आज भी स्वतंत्रता दिवस पर कविता (Independence Day Poem In Hindi) पढ़ना, सुनना और सुनाना पसंद करते हैं। 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस (15 August Independence Day) के अवसर पर आज भी स्कूल, कॉलेज, इंस्टिट्यूट, ऑफिस आदि जगहों पर 15 अगस्त पर देशभक्ति कविता का पाठ एक नई उमंग और ऊर्जा के साथ किया जाता है। इसीलिये parikshapoint.com आपके लिए स्वतंत्रता दिवस पर कविता इन हिंदी (Kavita On Independence Day in Hindi) लेकर आया है।

                 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर कविता--

          स्वतंत्रता दिवस पर वीर रस की कविता--

पंद्रह अगस्त का दिन कहता: आज़ादी अभी अधूरी है।
सपने सच होने बाकी है, रावी की शपथ न पूरी है॥

जिनकी लाशों पर पग धर कर आज़ादी भारत में आई,
वे अब तक हैं खानाबदोश ग़म की काली बदली छाई॥

कलकत्ते के फुटपाथों पर जो आँधी-पानी सहते हैं।
उनसे पूछो, पंद्रह अगस्त के बारे में क्या कहते हैं॥

हिंदू के नाते उनका दु:ख सुनते यदि तुम्हें लाज आती।
तो सीमा के उस पार चलो सभ्यता जहाँ कुचली जाती॥

इंसान जहाँ बेचा जाता, ईमान ख़रीदा जाता है।
इस्लाम सिसकियाँ भरता है, डालर मन में मुस्काता है॥

भूखों को गोली नंगों को हथियार पिन्हाए जाते हैं।
सूखे कंठों से जेहादी नारे लगवाए जाते हैं॥

लाहौर, कराची, ढाका पर मातम की है काली छाया।
पख्तूनों पर, गिलगित पर है ग़मगीन गुलामी का साया॥

बस इसीलिए तो कहता हूँ आज़ादी अभी अधूरी है।
कैसे उल्लास मनाऊँ मैं? थोड़े दिन की मजबूरी है॥

दिन दूर नहीं खंडित भारत को पुन: अखंड बनाएँगे।
गिलगित से गारो पर्वत तक आज़ादी पर्व मनाएँगे॥

उस स्वर्ण दिवस के लिए आज से कमर कसें बलिदान करें।
जो पाया उसमें खो न जाएँ, जो खोया उसका ध्यान करें॥

– पंद्रह अगस्त की पुकार / अटल बिहारी वाजपेयी
-------------------------------------------

                        (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-परीक्षापॉईंट.कॉम)
                       ----------------------------------------

-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-15.08.2023-मंगळवार.   
=========================================