स्वतंत्रता दिवस-कविता-53

Started by Atul Kaviraje, August 15, 2023, 05:18:57 PM

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Atul Kaviraje

                                   "स्वतंत्रता दिवस"
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मित्रो,

     आज दिनांक १५.०८.२०२३-मंगलवार है. आज भारत का "स्वतंत्रता दिवस" है. सन् 1947 में इसी दिन भारत के निवासियों ने ब्रिटिश शासन से स्‍वतंत्रता प्राप्त की थी। यह भारत का राष्ट्रीय त्यौहार है। लाल किले पर फहराता तिरंगा; स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर फहरते झंडे अनेक इमारतों व स्थानों पर देखे जा सकते हैं। प्रतिवर्ष इस दिन भारत के प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से देश को सम्बोधित करते हैं। यह आज़ादी हमें 200 सालों की यातना, उत्पीड़न, युद्ध और बलिदान के बाद 15 अगस्त, 1947 को मिली. ब्रिटिश कोलोनियल शासन से कड़ी मेहनत से हासिल की गई यह आजादी लोकतंत्र का जश्न है. यह भारत के इतिहास में एक नये युग की शुरुआत का प्रतीक है। दशकों के अथक संघर्ष और बलिदान से सजी स्वतंत्रता की यात्रा कठिन थी। मराठी कविताके मेरे सभी हिंदी भाई-बहन कवी-कवयित्रीयोको इस दिन कि बहोत सारी हार्दिक शुभकामनाये. आइये पढते है कुछ कविताये, रचनाये.

             आजादी पर हिंदी कविता--

आज देश मे नई भोर है
नई भोर का समारोह है
आज सिन्धु-गर्वित प्राणों में
उमड़ रहा उत्साह
मचल रहा है
नए सृजन के लक्ष्य बिन्दु पर
कवि के मुक्त छन्द-चरणों का
एक नया इतिहास ।

आज देश ने ली स्वंत्रतता
आज गगन मुस्काया ।
आज हिमालय हिला
पवन पुलके
सुनहली प्यारी-प्यारी धूप ।
आज देश की मिट्टी में बल
उर्वर साहस
आज देश के कण-कण ने ली
स्वतंत्रता की साँस ।

युग-युग के अवढर योगी की
टूटी आज समाधि
आज देश की आत्मा बदली
न्याय नीति संस्कृति शासन पर
चल न सकेंगे
अब धूमायित-कलुषित पर संकेत
एकत्रित अब कर न सकेंगे ,श्रम का सोना
अर्थ व्यूह रचना के स्वामी
पूंजी के रथ जोत ।

आज यूनियन जैक नहीं
अब है राष्ट्रीय निशान
लहराओ फहराओ इसको
पूजो-पूजो-पूजो इसको
यह बलिदानों की श्रद्धा है
यह अपमानों का प्रतिशोध
कोटि-कोटि सृष्टा बन्धुओं को
यह सुहाग सिन्दूर ।

यह स्वतंत्रता के संगर का पहला अस्त्र अमोध
आज देश जय-घोष कर रहा
महलों से बाँसों की छत पर नई चेतना आई
स्वतंत्रता के प्रथम सूर्य का है अभिनंदन-वन्दन
अब न देश फूटी आँखों भी देखेगा जन-क्रन्दन
अब न भूख का ज्वार-ज्वार में लाशें
लाशों में स्वर्ण के निर्मित होंगे गेह
अब ना देश में चल पाएगा लोहू का व्यापार
आज शहीदों की मज़ार पर
स्वतंत्रता के फूल चढ़ाकर कौल करो
दास-देश के कौतुक –करकट को बुहार कर
कौल करो ।

आज देश में नई भोर है
नई भोर का समारोह है ।

– 15 अगस्त 1947 / शील
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                       (साभार एवं सौजन्य-संदर्भ-परीक्षापॉईंट.कॉम)
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-----संकलन
-----श्री.अतुल एस.परब(अतुल कवीराजे)
-----दिनांक-15.08.2023-मंगळवार.   
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